होली में परिवार को दें खुशहाली की सौगात, अनचाहे गर्भ को कहें बाय
• परिवार नियोजन पर चर्चा ख़ुशहाल परिवार की निशानी
• रखना हो परिवार को खुशहाल तो पहला बच्चा 20 की उम्र के बाद, बच्चों में जरुर रखें 3 साल का अंतराल
• दो बच्चों में अंतराल से माँ और बच्चा रहेंगे स्वस्थ पूर्णियाँ : 11 मार्च ‘‘होली में घर आने से पहले तैयारी कर लेना. मुन्ना अभी एक साल का ही है. आशा दीदी की बात तो याद है ना, पहला बच्चा 20 की उम्र के बाद एवं दो बच्चों में 3 साल का अंतराल जरुरी है. इससे हमारा बच्चा और मैं खुद भी स्वस्थ रहूंगी.’’ कुछ ऐसी ही बातें महिलाओं को बाहर से घर लौटने वाले पतियों को समझाने की जरूरत है. परिवार नियोजन सिर्फ़ जनसंख्या स्थिरीकरण की बात नहीं है. यह एक स्वस्थ एवं खुशहाल परिवार निर्मित करने की पहल भी है. एक ऐसा परिवार जो आर्थिक रूप से सक्षम एवं शारीरिक रूप से स्वस्थ हो, इसके लिए पहला बच्चा 20 की उम्र के बाद एवं दो बच्चों में कम से कम 3 साल का अंतराल जरुरी है. होली पर प्रवासी घर वापस लौट रहे हैं, ऐसे में वे अपने परिवार को स्वस्थ एवं खुशहाल रखने में मदद कर सकते हैं.
परिवार नियोजन पर चर्चा करने से बदलेगी तस्वीर : हरेक व्यक्ति अपने परिवार की खुशहाली चाहता है, इसके लिए तो कुछ लोगों को अपने घर से दूर भी जाना पड़ता है. परिवार के लिए जरुरी संसाधन जुटाने के लिए उन्हें अपने परिवार, पत्नी एवं बच्चों से दूर जाना पड़ता है. लेकिन इस भाग-दौड़ में वे कुछ बुनियादी बातों पर चर्चा करना भूल जाते हैं. परिवार नियोजन उन्हीं बुनियादी बातों की कड़ी में शामिल है. परिवार नियोजन सिर्फ साधनों के इस्तेमाल की बात नहीं है, बल्कि परिवार के सम्पूर्ण खुशहाली का संकेत भी है. दम्पतियों के बीच परिवार नियोजन पर चर्चा से ही परिवार नियोजन के असली उद्देश्य को उजागर किया जा सकता है.
समझें परिवार नियोजन की जरूरत : स्टेट रिसोर्स यूनिट (एसआरयू) के परिवार नियोजन की टीम लीड पद्मा बुगिनेनी ने बताया कि परिवार नियोजन कार्यक्रम परिवार कल्याण की बात को उजागर करता है, जिसमें माँ एवं बच्चे को बेहतर स्वास्थ्य लाभ प्रदान कराना मुख्य रूप से शामिल है. बच्चे के जन्म के बाद बच्चे की बेहतर परवरिश होनी भी जरुरी है. इसके लिए दो बच्चों में 3 साल का अंतराल जरुरी हो जाता है. महिलाओं का शरीर 20 साल के पहले बच्चे को जन्म देने के लिए तैयार नहीं हो पाता है, यदि 20 साल के पहले कोई महिला माँ बनती है तब माँ के साथ उनके बच्चे का स्वास्थ्य भी असुरक्षित हो जाता है. बाद में यह मातृ एवं शिशु मृत्यु दर के कारणों में शामिल हो जाता है. होली के मौके पर प्रवासी घर लौट रहे हैं. उनके लिए यह मौका परिवार नियोजन के फायदों को जानने का एक अच्छा अवसर साबित हो सकता है.
लगातार बच्चे होने से महिला और बच्चे के ऊपर पड़ता है प्रभाव : पोषण अभियान की जिला समन्यवक निधि प्रिया ने कहा कि लगातार बच्चे के होने से महिला अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रख पाती है. इससे बच्चों के उचित देखभाल भी नहीं हो पाती है जिससे बच्चे के कुपोषित अथवा बार-बार ग्रस्त होने की संभावना रहती है. उन्होंने कहा कि बच्चे या माँ अस्वस्थ्य होंगे तो ईलाज पर खर्च बढेगा और इससे परिवार पर आर्थिक बोझ बढ़ सकता है.
दो बच्चों में 3 साल के अंतराल के लाभ:
• महिला अपने पहले बच्चे की देखभाल अच्छे से कर पाएगी.
• दोनों बच्चे को पूरा दूध पिलाने का समय मिलेगा.
• माँ और बच्चा दोनों स्वस्थ रहेंगे.
• परिवार पर आर्थिक बोझ नहीं बढ़ेगा.