देश के 9 विपक्षी दलों के नेताओं ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संयुक्त रूप से एक पत्र लिखकर विपक्ष के सदस्यों के खिलाफ विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों का खुल्लम खुल्ला दुरुपयोग किए जाने का आरोप लगाया है। इसे लेकर एनसीपी चीफ शरद पवार का बयान आया है। उन्होंने कहा कि ऐसी गिरफ्तारियों के कई उदाहरण हैं। उन्होंने ये भी कहा कि जिन लोगों पर आरोप थे, उनके बीजेपी में शामिल होने के बाद उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
पहला हस्ताक्षर मेरा है: पवार
शरद पवार ने कहा, “उस पत्र में पहला हस्ताक्षर मेरा है। हम चाहते हैं कि प्रधानमंत्री हमारी चिंताओं को गंभीरता से लें। उदाहरण के लिए, केजरीवाल सरकार में जिस शख्स ने शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा काम किया और जिसकी बहुतों ने प्रशंसा की, उसे गिरफ्तार किया जा रहा है।” वहीं, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने कहा कि सरकार ED और CBI के जरिए देश भर में लोगों को आतंकित कर रही है, यह तानाशाही है।
इन 9 नेताओं ने भेजे पत्र
बता दें कि प्रधानमंत्री को लिखे इस पत्र पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार, नेशनल कांफ्रेंस (जम्मू-कश्मीर) के नेता फारूक अब्दुल्ला, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता उद्धव ठाकरे और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने हस्ताक्षर किए हैं।
पत्र में क्या लिखा गया है?
पत्र में कहा गया, “विपक्ष के सदस्यों के खिलाफ विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों का खुल्लम-खुल्ला दुरुपयोग यह दर्शाता है कि हम लोकतंत्र से निरंकुशता में आ गए हैं। चुनावी मैदान के बाहर बदला लेने के लिए केंद्रीय एजेंसी और राज्यपाल जैसे संवैधानिक पदों का दुरुपयोग घोर निंदनीय है, क्योंकि यह हमारे लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है।”
पत्र में सिसोदिया को गिरफ्तार किए जाने का जिक्र
दिल्ली आबकारी नीति में अनियमितताओं को लेकर सीबीआई द्वारा दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किए जाने का जिक्र करते हुए इन नेताओं ने कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) के नेता के खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह निराधार और एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा है। उन्होंने दावा किया कि सिसोदिया की गिरफ्तारी से पूरे देश में लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में स्कूली शिक्षा को बदलने के लिए सिसोदिया को वैश्विक स्तर पर पहचाना जाता है।
इन नेताओं ने कहा कि सिसोदिया की गिरफ्तारी को दुनिया भर में राजनीतिक बदला के एक उदाहरण के रूप में उद्धृत किया जाएगा और इस घटना से दुनिया के इस संदेह की पुष्ट होती है कि भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को निरंकुश बीजेपी शासन में खतरा है। तमिलनाडु, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना के राज्यपालों और दिल्ली के उपराज्यपाल की ओर इशारा करते हुए इन नेताओं ने इन कार्यालयों पर संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करने और अक्सर राज्य के शासन में बाधा डालने का आरोप लगाया। उन्होंने असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा और तृणमूल कांग्रेस के पूर्व नेताओं शुभेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय का उदाहरण देते हुए दावा किया कि जांच एजेंसी बीजेपी में शामिल हुए पूर्व विपक्षी नेताओं के खिलाफ मामलों में धीमी गति से काम करती हैं।
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