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सेवा,सत्संग और साधना की त्रिवेणी है विहंगम योग।

सेवा,सत्संग और साधना की त्रिवेणी है विहंगम योग। विहंगम योग का ध्यान आंतरिक शांति का मार्ग प्रशस्त करता है। एक साधक जब सिद्धासन में बैठकर अपनी चेतना को गुरु उपदिष्ट भूमि पर केंद्रित करता है तो वह मानसिक व आत्मिक शांति का अनुभव करता है।

उक्त बातें विहंगम योग के संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज ने अमनौर प्रखंड के ढोरलाही कैथल में सद्गुरु आचार्य श्री स्वतंत्र देव जी महाराज के 76वें जन्मोत्सव के पावन अवसर आयोजित त्रिदिवसीय विहंगम योग समारोह एवं 2100 कुंडीय वैदिक महायज्ञ के द्वितीय दिवस पर उपस्थित हजारों भक्तों के मध्य व्यक्त किये।

महाराज जी ने बताया कि आज मन पर नियंत्रण न होने से समाज में विसंगतियाँ बढ़ रहीं हैं। युनेस्को की एक प्रस्तावना कहती है कि युद्ध की प्राचीरें कुत्सित मन से निकलती हैं। अतः मन पर नियंत्रण आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि हमारे मन में असीम शक्ति है। ईश्वर ने हमें बड़ी शक्तियों वाला अन्तःकरण दिया है। मानव के मन में अशांति है और जब तक यह अशांति है तब तक विश्व में शांति की कल्पना नहीं की जा सकती। मन की अशांति को विहंगम योग की ध्यान साधना के द्वारा दूर किया जा सकता है।

विहंगम योग के ध्यान – साधना पर हुए वैज्ञानिक अनुसंधान –
बताया कि विहंगम योग की वैज्ञानिक क्रियात्मक साधना के द्वारा हम अपने अशान्त मन को क्रमशः नियंत्रित और संयमित करते हैं। विहंगम योग की प्रथम भूमि की साधना पर 192 इलेक्ट्रोड से परीक्षण किया गया है, जिससे यह पता चलता है कि हमारे मस्तिष्क की अल्फा तरंगे अत्यधिकरूप से वृद्धि को प्राप्त कर रही हैं और ऐसी तरंगे जिनसे तनाव बढ़ता हो, अस्थिरता हो, अनिर्णय की स्थिति हो, क्रोध बढ़ता हो ऐसी नकारात्मक तरंगे कम होने लगती हैं, न्यून होने लगती हैं। अल्फा के बढ़ने से शान्तिमय सचेत अवस्था का निर्माण होता है। साधक केवल शान्त ही नहीं है, बल्कि वह सचेत है, जागरूक है, जिसे वैज्ञानिकों ने कहा ‘Restfull Alertness’ शान्तिमय सचेत अवस्था। विहंगम योग की साधना पंच श्रेणियों में विभक्त है। हमारे ऋषि कहते हैं । योग की पाँच भूमियाँ होती हैं।

इसके पूर्व प्रातः 6 से 8 बजे तक शारीरिक आरोग्यता के निमित्त आश्रम के कुशल योग प्रशिक्षकों द्वारा आसन प्राणायाम एवं ध्यान का सत्र संचालित हुआ। जिसमे हजारों योग साधक गठिया, स्पॉन्डिलाइटिस, साइटिका, कमर दर्द, उदर विकार , अस्थमा, आदि अनेकों असाध्य रोगों से निज़ात पाने के लिए उपयुक्त आसन एवं प्राणायाम सीखे।
आज शनिवार को दिन में 11 बजे से 2100 कुंडीय विश्वशांति वैदिक यज्ञानुष्ठान का शुभारंभ संत प्रवर श्री विज्ञान देव जी महाराज एवं सद्गुरु आचार्य श्री स्वतंत्र देव जी महाराज के पावन सान्निध्य में अ अंकित श्वेत ध्वजारोहण कर किया जाएगा। इसके लिए भव्य एवं आकर्षण ढंग से यज्ञ वेदियों को सजाया गया है। हजारों दंपत्ति अपने व्यष्टिगत एवं समष्टिगत लाभ हेतु यज्ञकुंड में आहुति को प्रदान करेंगे।

यज्ञ के उपरांत मानव मन की शांति व आध्यात्मिक उत्थान के निमित्त ब्रह्मविद्या विहंगम योग के क्रियात्मक ज्ञान की दीक्षा आगत नए जिज्ञासुओं को दिया जाएगा।

इस आयोजन में प्रतिदिन निःशुल्क योग, आयुर्वेद, पंचगव्य, होम्योपैथ आदि चिकित्सा पद्धतियों द्वारा कुशल चिकित्सकों के निर्देशन में रोगियों को चिकित्सा परामर्श भी दिया जा रहा है । जिसका लाभ आगत भक्त शिष्यो के साथ क्षेत्रीय लोग भी प्राप्त कर रहे हैं। आगत भक्तों के लिए अनवरत भण्डारा चल रहा है।

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