कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने विदेशी धरती पर यह आरोप लगाकर एक नए विवाद को जन्म दे दिया है कि ‘भारतीय लोकतंत्र खतरे में है’ और उनके सहित कई अन्य नेता निगरानी में हैं। वह यूके में कैंब्रिज विश्वविद्यालय के कैम्ब्रिज जज बिजनेस स्कूल के विजिटिंग फेलो के रूप में व्याख्यान दे रहे थे और उसका विषय था ’21वीं सदी में सुनना सीखना’। इस दौरान राहुल गांधी ने कहा, “मेरे विचार से नरेंद्र मोदी भारत की वास्तुकला को नष्ट कर रहे हैं। अगर वह हमारे देश को टुकड़ों में बांट रह हैं, जैसा कि मुझे लगता है कि वह यही कर रहे हैं तो इसलिए मुझे उनकी दो या तीन अच्छी नीतियों की परवाह नहीं है। वह भारत पर एक विचार थोप रहे हैं, जिसे भारत आत्मसात नहीं कर सकता, क्योंकि भारत राज्यों का एक संघ है। उन्होंने कहा कि यह एक वार्ता है और यदि आप एक विचार को संघ (देश) पर थोपने की कोशिश करते हैं तो यह प्रतिक्रिया करेगा।”
राहुल ने आरोप लगाया कि उनके समेत बड़ी संख्या में नेताओं के फोन में इजरायली पेगासस स्पाईवेयर इंस्टॉल किया गया था। जबकि उन्होंने कहाकि मैंने खुद अपने फोन में पेगासस लगाया था। हमारे यहां बहुत से राजनेताओं के फोन में पेगासस है। यह एक तरह का दबाव है, जिसे हम महसूस करते हैं। भाजपा ने राहुल गांधी के इस बयान पर तुरंत प्रतिक्रिया दी है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि यह नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के नाम पर विदेशी धरती पर भारत को बदनाम करने का “बेशर्म प्रयास” था। उन्होंने कहा’पेगासस स्पाईवेयर है या नहीं, यह जांचने के लिए उन्हें (राहुल गांधी को) अपना सेलफोन जमा नहीं कराने के पीछे क्या मजबूरी थी? वह भ्रष्टाचार के एक मामले (नेशनल हेराल्ड) में पहले से ही जमानत पर हैं। क्या यही कारण था कि उन्हें अपना फोन छिपाने की जरूरत थी ? उन्होंने और अन्य नेताओं ने अपने फोन क्यों जांच के लिए नहीं सौंपे?”
वहीं असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कैंब्रिज में राहुल गांधी द्वारा उठाए गए मुद्दों का बिंदुवार खंडन किया। एक लंबे ट्विटर थ्रेड में सरमा ने लिखा, “पहले विदेशी एजेंट हमें निशाना बनाते हैं! फिर एक विदेशी भूमि पर हमारे अपने हमें निशाना बनाते हैं! कैंब्रिज में राहुल गांधी का भाषण कुछ और नहीं, सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने की आड़ में विदेशी धरती पर हमारे देश को बदनाम करने का एक बेशर्म प्रयास था। वहां जाकर “राहुल कहते हैं कि भारतीय लोकतंत्र खतरे में है, क्योंकि वह स्वतंत्र रूप से खुद को अभिव्यक्त नहीं कर सकते हैं। जबकि फैक्ट यह है कि उन्होंने मोदी सरकार द्वारा प्रदान की गई सुरक्षा के तहत देश में 4000 किलोमीटर की यात्रा बिना किसी घटना के पूरी की। क्या हमें उन्हें याद दिलाने की जरूरत है कि जब भाजपा नेताओं की यात्राएं निकलती थीं और कांग्रेस सत्ता में थी तो किस तरह तोड़फोड़ की जाती थी?
“राहुल कह रहे हैं कि पेगासस उनके फोन में पाया गया था और एक “अधिकारी” ने उन्हें इसके बारे में चेतावनी भी दी थी। जबकि तथ्य यह है कि जब सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए कहा तो उन्होंने (राहुल ने) जांच के लिए अपना फोन जमा करने से इनकार कर दिया। व्यापक जांच के बाद सुप्रीम कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि पेगासस का कोई सबूत नहीं था। वह कहते हैं कि भारत के अल्पसंख्यक असुरक्षित हैं और उनके साथ दोयम दर्जे के नागरिकों की तरह व्यवहार किया जाता है। तथ्य यह है कि मई 2014 के बाद से भारत में सांप्रदायिक हिंसा सबसे कम रही है और अल्पसंख्यक परिवारों की समृद्धि अब तक की सबसे अधिक स्तर की है। कई अल्पसंख्यक नेताओं ने मोदी सरकार में अपना विश्वास दोहराया है। वह कहते हैं कि भारत यूरोप के बाद मॉडल किए गए राज्यों का एक संघ है। जबकि तथ्य यह है कि भारत और उसके महाजनपद एक सभ्यता इकाई के रूप में हजारों साल पहले अस्तित्व में थे। यहां तक कि यूरोप भी इसका एक राजनीतिक इकाई बन गया था, क्या फिर भी हम उनके बाद मॉडल किए गए हैं?
सरमा ने कहा कि “राहुल कहते हैं कि विनिर्माण लोकतंत्र में अनुकूल नहीं है। तथ्य यह है कि जब इंदिरा गांधी ने लोकतंत्र को निलंबित कर दिया था तो विनिर्माण में वृद्धि नहीं हुई, लेकिन जब मोदी सरकार ने पीएलआइ योजना शुरू की तो यह हुई। हिमंत ने पूछा कि क्या कांग्रेस का 2024 का एजेंडा भारत को कम्युनिस्ट तानाशाही युग में वापस ले जाना है।” ? उन्होंने कहा कि “राहुल आगे कहते हैं कि चीन बौद्धिक संपदा अधिकारों में विश्वास नहीं करने वाला एक गहन और शक्तिशाली अवधारणा है। मैं पूछना चाहता हूं कि क्या पी. चिदंबरम भी सोचते हैं कि कॉपीराइट कानूनों को खत्म करने और चोरी को बढ़ावा देने से विनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा?””राहुल यह भी स्वीकार करते हैं कि वह चीन और कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्यों से आकर्षित हैं, जिन्होंने उनके विचारों को आकार दिया है। इसलिए चीनियों के लिए इतनी समृद्ध प्रशंसा समझ में आती है। गांधी परिवार उनसे लिए गए दान के लिए अपने कर्ज के भुगतान की कोशिश कर रहा है!
“राहुल कहते हैं कि कश्मीर में उन्हें आतंकवादियों ने देखा, लेकिन उन्हें पता था कि वे उन्हें निशाना नहीं बनाएंगे। अगर यह सच था तो सुरक्षा एजेंसियों को इसकी सूचना क्यों नहीं दी गई? क्या राहुल को बचाने के लिए कांग्रेस की इन आतंकवादियों के साथ कुछ सांठगांठ थी?” “राहुल ने पुलवामा हमले को “एक कार बम के रूप में वर्णित किया है, जिसमें 40 सैनिक मारे गए थे”। ऐसा कहकर उन्होंने हमारे जवानों का अपमान करने की हिम्मत कैसे की? श्रीमान जी यह बम नहीं था, एक आतंकी हमला था। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि उन्होंने पुलवामा हमले के पीछे पाकिस्तान का नाम लेने से इनकार कर दिया। क्या यह भी कांग्रेसियों की उग्रवादियों के साथ कांग्रेस के साथ सांठगांठ का एक हिस्सा था?”
अनुराग ठाकुर और हिमंत सरमा के अलावा केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी निशाना साधा
सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहाकि इसके लिए ‘राहुल को जवाब देने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि उनकी सुई एक ही जगह फंसी है। विपक्ष के नेता के रूप में राहुल गांधी के पास पेगासस स्पाईवेयर पर सवाल उठाने का लोकतांत्रिक अधिकार है। मगर जब उन्होंने यह आरोप विदेशी धरती पर लगाया तो उन्हें यह भी बताना चाहिए था कि सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस मामले को देखा और उसे कोई सबूत नहीं मिला। भाजपा नेताओं ने कहाकि ऐसे समय में जब भारतीय सशस्त्र बल आमने-सामने के टकराव में वास्तविक नियंत्रण रेखा की रखवाली कर रहे हैं तो दूसरी ओर राहुल चीन की प्रशंसा कर रहे हैं। एक बीजेपी नेता ने कहा, दुनिया में चीन के तीन ही दोस्त बचे हैं: पाकिस्तान, उत्तर कोरिया और राहुल गांधी। यह भले ही मजाक में कहा गया हो, लेकिन संदेश साफ है कि राहुल को कैंब्रिज में बोलते समय अपने शब्दों का चयन सावधानी से करना चाहिए था।