मृत्युभोज जैसे कुप्रथा के बिरुद्ध लखना गांव के लोगो ने लिया संकल्प,इस कुप्रथा के न जाने कितने गरीब परिवार ऋण के बोझ से बर्बाद हो जाते है।
गांव वालों ने एक साथ मृत्युभोज जैसे कुप्रथा प्रचलन को गांव में नही चलाने की बात कही।
न्यूज4बिहार :अमनौर स्थानीय प्रखण्ड के मनोरपुर झखरी पंचायत के लखना गांव में डॉ भीम राव अंबेडकर सेवा संघर्ष समिति के तत्वधान में मृत्युभोज जैसे कुप्रथा के बिरुद्ध गांव वाले खोला मोर्चा।जिसका नेतृत्व समाजसेवी देवेंद्र राम ने किया।शुक्रवार को सामाजिक कुरीतियां में से एक कुरीतियां मृत्यु भोज के बिरुद्ध गांव में सैकड़ो ग्रामीणों के साथ जागरूकता रैली निकाली गई।पूरे गांव में घूम घूम कर इस कुप्रथा के बिरुद्ध लोगो को जागरूक किया गया।जिसमे गांव के सैकड़ो ग्रामीण महिला पुरुष समाजसेवी शिक्षाविद लोगो ने भाग लिया।इसके बाद एक समारोह कर सभी गांव वालों ने एक साथ मृत्युभोज जैसे कुप्रथा का प्रचलन समाप्त करने का शफ़्त लिया।उन्होंने कहा आज के बाद गांव में नही मृत्यु भोज होगी नही हमलोग इसमें शामिल होंगे।मालूम हो कि गांव में एक सप्ताह पूर्व दो लोगो की मृत्यु हो चुकी थी। दोनों काफी गरीब असहाय है।गांव के लोगो ने एक बैठक कर इस कुप्रथा के बिरुद्ध आगे आये,सभी गांव के लोगो ने यह तय कर लिया कि हमलोग इस कुप्रथा को समाज से मिटा के रखेंगे।समाजसेवी देवेंद्र राम ने मृत्युभोज का बहिष्कार कर न सिर्फ लोगो को चौका दिया,बल्कि आस पास के क्षेत्र के लोगो के बीच एक नया संदेश दिया,जिसका लोग भूरी भूरी प्रशंसा कर रहे है।इनका कहना है कि मृत्यु भोज एक अभिशाप है,यह मनुवादी परम्परा है,इस कुप्रथा के करन कितने गरीब परिवार ऋण के बोझ से बर्बाद हो जाते है।एक तो वे संतान गवाते है साथ मे इस कुप्रथा के शिकार में धन गवाकर आजीवन पूरा परिवार अपाहिज की जीवन जीने को बिवस है।उन्होंने कहा डॉ भीम राव अम्बेडकर समिति के लोगों ने निर्णय लिया है कि इस तरह के कुप्रथा को हमलोग समाज से उखाड़ फेकेगे ।ताकि हमारे समाज का विकास हो। मृत्यु भोज में होने वाली खर्च बेवजह है । इस तरह के खर्च को उन परिवार के बच्चों के शिक्षा पर, स्वास्थ्य पर तथा उनके निजी विकास पर खर्च करने की अपील किया।
सरपँच महेश राय ने इस कुप्रथा के बिरुद्ध गांव वालों के एकजुटता देख काफी सराहना किया,कहा अनुशासन पर्व में लिखा है,मृत्युभोज खाने वाले कि ऊर्जा नष्ट हो जाती है,दुर्योधन के द्वारा श्री कृष्ण से भोजन कराने के आग्रह पर उन्होंने कहा है-सम्प्रीति भोजयानी आपदा भोजयानी वा पुनै:,अर्थात जब खिलाने वाले का मन प्रसन्न हो,और खाने वाले का मन प्रसन्न हो तभी भोजन करना चाहिए।
अब ये समाज पहले जैसा नही रहा है अब ये शिक्षित हो रहे हैं और ज़ब शिक्षा आएगी तब निश्चित रूपये से इस तरह की कुप्रथा को दूर किया जा सकता हैं
समाजसेवी पंकज यादव,बीडीसी प्रतिनिधि डॉ राकेश राय ने कहा कि संबिधान के धारा -04 के अनुसार मृत्यु भोज कराने वाले शामिल होने वाले दोनों अपराध की श्रेणी में आता है।कार्यक्रम का संचालन संतोष राम ने किया,सम्बोधन करने वालो में,संजय राम,
श्रवण राम,दूधनाथ कुमार,मुकेश कुमार,रमेश कुमार,राजन कुमार,कमलेश कुमार,मंटू कुमार समेत सैकड़ो ग्रामीण शामिल थे।