जेपीयू में मनाई गई जेपी की जयंती।

न्यूज4बिहार/छपरा : जयप्रकाश नारायण की जयंती के अवसर पर जय प्रकाश विश्वविद्यालय के प्रांगण में कार्यक्रम का आयोजन हुआ. इस आयोजन के मुख्य अतिथि बिहार विधान सभा के अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी, मुख्य वक्ता चिंतक और लेखक शिवदयाल,विशिष्ट अतिथि के तौर पर बिहार विधान परिषद के सदस्य केदारनाथ पांडेय, भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जवाहर लाल, अनुग्रह नारायण महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. शशि प्रताप शाही और जे. पी. सेनानी श्री कृष्ण कुमार जी व श्री प्रकाश चंद्र गुप्ता उपस्थित थे. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अवध बिहारी चौधरी ने कहा कि लोकनायक जय प्रकाश नारायण आज़ादी के सच्चे नायक थे. वे समरस समाज के निर्माण के प्रति आस्थावान थे. आज़ादी के बाद देश में राजनैतिक बदलाव के भी वाहक बनें।वे राजनीति में मूल्यों की पवित्रता और मूल्य आधारित राजनीति के प्रबल आकांक्षी थे।उन्होंने महापुरुषों की जयंती के उद्देश्य को भी सविस्तार समझाया।श्री चौधरी ने कहा कि शिक्षा के बिना सम्पूर्ण क्रांति का लक्ष्य अधूरा है, इसलिए सभी सरकारों को शिक्षा और किसानों पर विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है।

जेपी सेनानी कृष्ण कुमार ने कहा कि जेपी जीवन और राजनीति में प्रयोग के हिमायती थे. साथ ही, जेपी और विनोबा भावे के साथ बीते संस्मरण को सुनाया।उन्होंने कहा कि जेपी राजनीतिक में आंदोलन की भूमिका को सार्थक मानते थे और जेपी हिंसा के सख़्त ख़िलाफ़ थे।

जेपी सेनानी और मीसा बंदी प्रकाश चंद्र गुप्ता ने कहा कि यह विश्वविद्यालय जेपी के सपनों को पूरा करने का कार्य करेगा. गांधी के सत्य के प्रयोग को जेपी अपने जीवन से जोड़ते हैं. सम्पूर्ण क्रांति घर घर की आवाज़ थी. आज हम जेपी के मूल्यों से भटक गए है.पुन: हमें उनके आदर्शों की तरफ़ लौटना होगा।

विशिष्ट अतिथि के तौर पर पधारे बिहार विधान परिषद के सदस्य और निवेदन समिति के अध्यक्ष केदारनाथ पांडेय ने कहा कि जेपी की जयंती मनाकर विश्वविद्यालय ने बड़ा कार्य किया. बुद्ध और तुलसी के बाद लोकनायक जेपी बनें यह जेपी के लिए महनीय उपलब्धि थी. जेपी के लिए मनुष्य होना सबसे बड़ी बात थी. इसलिए आज भी मनुष्य को मनुष्य बनें रहने के लिए जेपी हमारे आदर्श हैं. इंदिरा गांधी के वैचारिकी के ख़िलाफ़ होते हुए भी व्यक्तिगत स्तर पर साम्य भाव रखते थे, यही उनके व्यक्तित्व की उपलब्धि है।

उसी कड़ी में अनुग्रह नारायण महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. शशि प्रताप शाही ने कहा कि जेपी आज़ादी के बाद भारतीय राजनीति में मूल्यों को जीवित रखने वाले पहले व्यक्तित्व थे. उन्होंने राजनीति में दिशाहीनता की तरफ़ भी संकेत किया. श्री शाही ने कहा कि युवा पीढ़ी को जेपी क़े विचारों पर चलना चाहिए.जिससे समाज का उन्नयन हो सकें।

समाज विज्ञानी प्रो. लाल बाबू ने जेपी दलविहीन राजनीति के अगुआ थे. जेपी ने भावी भारत का जो सपना देखा था, वह भारत नहीं बन सका।

विशिष्ट अतिथि के तौर पर पधारे भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जवाहर लाल जी ने कहा कि जेपी ने सम्पूर्ण क्रांति के माध्यम से समाज और राजनीति को दिशा देने का कार्य किया. जेपी ने शिक्षा में क्रांतिकारी परिवर्तन के पक्षधर थे।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता शिवदयाल जी ने कहा कि जेपी का आपसे जुड़ाव आपको विह्वल करता है। उन्होंने कहा कि हमें इस बात का गहरा संतोष है कि हमारी पीढ़ी ने जेपी को देखा ही नहीं बल्कि जिया भी. जेपी एक ऐसे समाज की परिकल्पना करते थे जिसमें सभी मनुष्य समर्थ और संवेदनशील हो. व्यक्ति समाज के प्रति प्रतिबद्ध हो. जेपी एक ऐसे व्यक्ति हैं जिनके सोच और चिंतन में आम आदमी केंद्र में रहता है. साथ ही, वे चिंतन में वैदिक और पाश्चात्य को साथ लेकर चलते हैं. उन्होंने कहा कि जेपी की विचारयात्रा में स्वंतत्रता और समानता दो शब्द- युग्म है.जेपी को समझने के लिए संदर्भो से इतर जाने की ज़रूरत है क्योंकि जेपी का राष्ट्रवाद वैश्विक अवधारणा है.लोकतंत्र की समझ जेपी से बेहतर पूरी दुनिया में किसी विचारक की नहीं है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें व्यक्ति और समुदाय के बीच कोई फ़र्क़ नहीं है।

यह एक नैतिक व्यवस्था है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जेपीयू के कुलपति प्रो. फारूक अली ने कहा कि जेपी के मूल्यों का अनुशीलन यह विश्वविद्यालय कर रहा है आगामी दिनों में उनके बचे हुए कार्य करने के प्रति संकल्पित हैं।गंगा मुक्ति आंदोलन से मैं भी जुङा था।जो नियम एवं सिद्धांत के विरुद्ध है वह सब अनैतिक है।जिसे दुनियां 10 साल बाद समझती है उसे बिहार 10 साल पहलेही समझ लेता है।

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