क्‍या कोरोना वायरस के लक्षणों से उबर चुका मरीज भी फैला सकता है इंफेक्‍शन?

क्‍या कोरोना वायरस के लक्षणों से उबर चुका मरीज भी फैला सकता है इंफेक्‍शन?

नई दिल्‍ली: चीन के वुहान (Wuhan) शहर से शुरू हुए कोरोना वारस (Coronavirus) ने 120 से ज्‍यादा देशों को अपनी चपेट में ले लिया है. दुनिया भर में 1.34 लाख से ज्‍यादा लोग इससे संक्रमित हुए हैं, जिनमें 4,984 लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि, हजारों की संख्‍या में सं‍क्रमित लोगों को ठीक भी कर लिया गया है. थाइलैंड के बाद भारत में भी डॉक्‍टर संक्रमित मरीजों का एचआईवी/एड्स, स्‍वाइन फ्लू और मलेरिया की दवाओं के कॉम्बिनेशन से इलाज कर रहे हैं. अब सवाल ये खड़ा हो गया है कि क्‍या एक बार वायरस से लड़कर ठीक हो चुके लोग दोबारा संक्रमित हो सकते हैं और क्‍या वे ठीक होने के बाद भी अन्‍य लोगों को इंफेक्‍टेड कर सकते हैं…

2 सप्‍ताह बाद तक शरीर में रह सकता है कोरोना वायरस*चीन के बाहर किए गए एक अध्‍ययन (Study) में पता चला है कि संक्रमित व्‍यक्ति के ठीक होने के बाद भी कम से कम दो सप्‍ताह तक कोरोना वायरस उसके शरीर में मौजूद रह सकता है. इस पर अमेरिका की टेंपल यूनिवर्सिटी (Temple University) के कॉलेज ऑफ पब्लिक हेल्‍थ में महामारी विशेषज्ञ (Epidemiologist) क्रिस जॉनसन का कहना है कि इस अध्‍ययन के निष्‍कर्ष बहुत अच्‍छे हें. उनके मुताबिक, मानव शरीर में अगर कोई वायरस बिना नुकसान किए पड़ा रहता है तो हमारा शरीर उससे प्रतिरक्षा की तैयारी कर लेता है. ऐसा होने पर हम दोबारा उस वायरस से संक्रमित नहीं होते क्‍योंकि हमारी रोगप्रतिरोधक क्षमता (Immunity) उसका मुकाबला आसानी से कर लेती है.

वुहान के 4 मेडिकल प्रोफेशनल्‍स पर किया गया था शोध.

जर्नल जामा (JAMA) में प्रकाशित शोध के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने 30 से 36 साल उम्र के चार मेडिकल प्रोफेशनल्‍स पर अध्‍ययन किया. ये चारों COVID-19 से संक्रमित हो गए थे. इनका इलाज चीन की वुहान यूनिवर्सिटी के अस्‍पताल में 1 जनवरी से 15 फरवरी के बीच किया गया था. ये चारों इलाज (Treatment) के बाद ठीक हो गए. चारों मरीजों का इलाज एंटी-वारल दवा ऑसेल्‍टामिविर की डोज से किया गया. इस दवा को आमतौर पर टेमीफ्लू के नाम से जाना जाता है. कोरोना वायरस के लक्षणों से उबरने के बाद दो बार किए गए मेडिकल टेस्‍ट (Medical Test) में चारों की रिपोर्ट निगेटिव आई. डॉक्‍टरों ने चारों को पांच दिन तक घर में ही रहने को कहा. इन चारों के गले में 5 से 13 दिन सूजन और खराश रही.

ठीक होने के बाद 13 दिन तक रही गले में सूजन-खराश*शोध (Research) के मुताबिक, ठीक होने के बाद 5 से 13 दिन तक किया गया हर टेस्‍ट कोरोना वायरस पॉजिटिव आया. इससे साफ है कि संक्रमण के लक्षण खत्‍म होने के बाद भी उनके शरीर में 13 दिन तक कोरोना वायरस मौजूद था. जॉनसन ने बताया कि जापान (Japan) में भी एक महिला संक्रमण से पूरी तरह ठीक हो गई. इसके कुछ ही दिन बाद वह दोबारा बीमार पड़ गई. क्रिस का कहना है कि डॉक्‍टरों को इसका कारण अब तक समझ नहीं आ रहा है. हो सकता है कि वह महिला किसी संक्रमित व्‍यक्ति के संपर्क में आने से दोबारा बीमार पड़ गई हो. हो सकता है कि उसका खुद का सिस्‍टम पूरी तरह से वायरस का मुकाबला नहीं कर पाया हो.*जीका और इबोला वारस महीनों शरीर में पड़े रहते हैं*मिशिगन टेक यूनिवर्सिटी में वायरोलॉजिस्‍ट (Virologist) एबनेजर टंबन के मुताबिक, रिकवरी के बाद भी वायरस का शरीर में बने रहना नई बात नहीं है. उदाहरण के लिए जीका (Zika Virus) और इबोला वायरस (Ebola Virus) पेशेंट के रिकवर होने के बाद भी कई महीनों तक मरीजों के शरीर में पाया गया था. वुहान में ठीक किए गए चारों मेडिकल प्रोफेशनल्‍स को लेकर टंबन ने कहा, ‘हो सकता है कि टेमीफ्लू ने उनके शरीर में वायरस की संख्‍या इतनी घटा दी हो, जिसको पकड़ने के लिए हमारे पास पर्याप्‍त तकनीक मौजूद नहीं है. हो सकता है कि इलाज बंद होने के बाद एक बार फिर शरीर में वायरस की संख्‍या निम्‍न स्‍तर पर बढ़नी शुरू हो गई हो.’*ठीक हो चुके लोगों को भी बरतनी चाहिए एहतियात*टंबन का कहना है कि ठीक हो गए लोगों को भी घर में पानी शेयर करने या हाथ मिलाने या परिजनों से नजदीकी संपर्क बनाने से बचना चाहिए. उन्‍हें खांसी, जुकाम या छीकें नहीं आने के बाद भी बार-बार हाथ धोते रहने चाहिए. हालांकि, अगर उनके शरीर में वायरस का स्‍तर बहुत कम है तो वे खाना या पानी शेयर करने दूसरे लोगों को संक्रमित नहीं कर सकते. शोध में शामिल किए गए चारों मेडिकल प्रोफेशनल्‍स के परिजनों में कोरोना वायरस निगेटिव ही पाया गया. शोध में कहा गया है कि चारों मरीज मेडिकल प्रोफेशनल्‍स हैं. ऐसे में उन्‍होंने वायरस को फैलने से रोकने के लिए हरसंभव एहतियात बरती. वहीं, जॉनसन का कहना है कि एक बार संक्रमण से पूरी तरह ठीक हो चुके व्‍यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली दोबारा संक्रमण से बचाने के लिए तैयार हो जाती ळै. उसे दोबारा इंफेक्‍शन होने के आसार न के बराबर हैं.

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