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टीबी के मरीजों के साथ रहने वाले बच्चों व परिवार के सदस्यों को प्रीवेंटिव ट्रीटमेंट से जोड़ा जाएगा

• मैनेजमेंट ऑफ टीबी प्रीवेंटिव ट्रीटमेंट को लेकर दिया गया प्रशिक्षण

• वर्ल्ड विजन इंडिया जीत कार्यक्रम के तहत दिया गया प्रशिक्षण

• टीबी मुक्त पंचायत अभियान पर विशेष फोकस करने का निर्देश

छपरा। जिले में यक्ष्मा उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा विभिन्न स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। जिसको लेकर लगातार अभियान चलाया जा रहा है। बुधवार को छपरा सदर अस्पताल के जीएनएम स्कूल परिसर में यक्ष्मा विभाग के द्वारा एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें सभी एसटीएस, एसटीएलएस एवं डीपीएस को राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन प्रोग्राम के अंतर्गत मैनेजमेंट ऑफ टीबी प्रीवेंटिव ट्रीटमेंट के बारे में प्रशिक्षण दिया गया। वर्ल्ड विजन संस्था के जीत कार्यक्रम के तहत दिया प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ रत्नेश्वर प्रसाद सिंह एवं डीपीएम अरविंद कुमार के द्वारा किया गया। टीबी प्रीवेंटिव ट्रीटमेंट के बारे में वर्ल्ड विजन के जिला समन्वयक रणधीर कुमार ने ट्रेनिंग दिया। जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ रत्नेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि टीवी रोगियों के साथ रहने वाले सभी परिवार को आइसोनिया जाइड दवा दिया जाना। 10 वर्ष से नीचे के उम्र वाले बच्चों को 10 मिलीग्राम प्रति किलो बॉडी वजन के अनुसार देना है। 10 वर्ष या उससे ऊपर के परिवार के सदस्यों को 5 मिलीग्राम बॉडी वेट के अनुसार यह दवा दिया जाना है।

टीबी रोगियों के परिवार सभी सदस्यों का किया जाएगा एक्स-रे :

जिला यक्षमा पदाधिकारी ने बताया कि टीबी मरीजों के साथ रहने वाले 5 वर्ष से ऊपर के लोगों का एक्सरे किया जाएगा। अगर एक्स-रे सजेस्टिव आएगा तो आगे टीबी का जांच शुरू होगा, अगर एक्सरे नंद सजेस्टिव आता है तो उन सभी को आइसोनिया जाइड दवा खिलाई जाएगी। जिनका उम्र 5 वर्ष से कम है उनको बिना किसी जांच के 10 मिलीग्राम बॉडी वेट के अनुसार यह दवा 6 माह तक लगातार खिलाना है।

टीबीमुक्त पंचायत अभियान पर दे विशेष ध्यान:

जिला स्वास्थ समिति के डीपीएम अरविंद कुमार ने कहा कि राज्य सरकार के द्वारा टीबी मुक्त पंचायत अभियान की शुरुआत की गई है। इस अभियान को जिले में भी शुरू करना है। उन्होंने सभी एसपीएस और एचटीएलएस को दो-दो पंचायत को टीबी मुक्त पंचायत अभियान से जोड़ने का निर्देश दिया।चिह्नित पंचायतों में प्रति एक हजार जनसंख्या पर 50 संभावित मरीजों की खोज होगी। मरीज मिलने पर प्रतिवर्ष उस पंचायत में अभियान चलाया जाएगा। वहीं, प्रति एक हजार की आबादी पर दो अथवा इससे कम मरीज मिलने पर उक्त पंचायत को टीबी मुक्त घोषित किया जाएगा। जिसके लिए पंचायत से लेकर जिला स्तर की टीम समीक्षा करने के बाद ही सत्यापित करेगी।

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