फाइलेरिया उन्मूलन: प्रत्येक प्रखंड के दो-दो गांवों में चलेगा नाइट ब्लड सर्वे अभियान

• 300 रेंडम तथा 300 चिन्हित साइट से होगा सैँपल कलेक्शन

• स्वास्थ्यकर्मियों को दिया गया प्रशिक्षण

• केयर इंडिया, पीसीआई और सीफार की टीम करेगी सहयोग

छपरा: फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा विभिन्न स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। जिले में फाइलेरिया के रोगियों के बारे में पता लगाने के लिए नाइट ब्लड सर्वे अभियान चलाया जायेगा। जिसके तहत चिन्हित गांवों रात में लोगों का ब्लड सैंपल कलेक्ट किया जायेगा। इसके सफल क्रियान्वयन को लेकर सदर अस्पताल के जीएनएम स्कूल में एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा की अध्यक्षता में की गयी। मास्टर ट्रेनर संजीव कुमार और हरेश्वर प्रसाद के द्वारा ट्रेनिंग दिया गया। जिसमें लैब टेक्निशियन तथा प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक को प्रशिक्षण दिया गया। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि अभियान के दौरान 300 रेंडम साइट तथा 300 फिक्स साइट से ब्लड सैंपल कलेक्ट किया जायेगा। नाइट ब्लड सर्वे का काम जल्द ही जिले में शुरू किया जाएगा। इसकी संभावित तिथि 18 अक्टूबर रखी गई है। इस दिन से जिले में नाइट ब्लड सर्वे का काम शुरू हो सकता है। इस दौरान केयर इंडिया डीपीओ आदित्य कुमार द्वारा रिपोर्टिंग और डेटा शीट भरने के बारे में बताया गया। इस अभियान में केयर इंडिया, पीसीआई और सीफार संस्था के द्वारा सहयोग किया जायेगा। इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा, डीएमओ डॉ. दिलीप कुमार सिंह, भीबीडीसी सुधीर कुमार, केयर इंडिया के डीपीओ आदित्य कुमार, सीफार के जिला समन्वयक रितेश राय, पीसीआई के आरएमसी सत्यप्रकाश यादव, सभी बीसीएम, एलटी और केयर इंडिया के बीसी मौजूद थे।

 

सभी प्रखंड में दो-दो साइट बनाए गएः

डीएमओ ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे को लेकर सभी प्रखंड में दो-दो साइट बनाए गए हैं। एक सेंटिनेल और दूसरा रैनडम साइट। जहां पर फाइलेरिया के अधिक केस मिले हैं वहां पर सेंटिनेल साइट बनाए गए हैं। इसके अलावा वैसी जगहों पर भी साइट बनाए गए हैं, जहां पर फाइलेरिया के कम मरीज मिले हैं। ऐसी जगहों पर रैनडम साइट बनाए गए हैं। नाइट ब्लड सर्वे के दौरान एक साइट पर 20 वर्ष से अधिक उम्र के 300 लोगों की जांच की जाएगी। इसके सफलता के लिए गांव स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। नुकड़ नाटक व विभिन्न माध्यमों से लोगों का जागरूक किया जा रहा है।

 

फाइलेरिया के परजीवी रात में ही होते हैं सक्रियः

भीबीडीसी सुधीर कुमार ने बताया कि नाइट ब्लड सर्वे के तहत फाइलेरिया प्रभावित क्षेत्रों की पहचान कर वहां रात में लोगों के रक्त के नमूने लिये जाते हैं। इसे प्रयोगशाला भेजा जाता है और रक्त में फाइलेरिया के परजीवी की मौजूदगी का पता लगाया जाता है। फाइलेरिया का परजीवी रात में ही सक्रिय होते हैं, इसलिए नाइट ब्लड सर्वे से सही रिपोर्ट पता चल पाता है। इससे फाइलेरिया के संभावित मरीज का समुचित इलाज किया जाता है।

 

नियमित और उचित देखभाल जरूरीः

फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है। यह नेगलेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज की श्रेणी में आता है। फाइलेरिया हो जाने के बाद धीरे-धीरे यह गंभीर रूप लेने लगता है। इसकी नियमित व उचित देखभाल कर जटिलताओं से बचा जा सकता है। फाइलेरिया से बचाव के लिए समय-समय पर सरकार द्वारा सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जाता है। इसमें आशा घर-घर जाकर फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाती हैं।

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