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स्वास्थ्य सेवाओं की रैंकिंग में टॉप-13 में शामिल हुआ सारण जिला

• 34 स्वास्थ्य सूचकांकों के आधार पर हुई रैंकिंग
• स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में हो रही बढ़ोतरी
छपरा,25 मई। जिले के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में बढ़ोतरी हुई है। इसके लिए राज्य स्वास्थ्य समिति नियमित तौर पर जिलास्तरीय स्वास्थ्य सेवाओं की समीक्षा भी करती है। इसी कड़ी में राज्य स्वास्थ्य समिति ने 34 स्वास्थ्य सूचकांकों की समीक्षा कर जिलावार रैंकिंग जारी की है। जिसमें जिले ने निर्धारित सूचकांकों में प्रगति की है। अप्रैल माह की रैंकिंग में 11वां स्थान मिला है। राज्य स्वास्थ्य समिति ने 34 स्वास्थ्य सूचकांकों के आधार पर राज्य स्तरीय रैंकिंग जारी की है। जिसमें जिले की स्थिति पहले की तुलना में और बेहतर हुई है। बेहतर कार्य की बदौलत 11वां स्थान प्राप्त कर सका है। इससे जिले के समस्त स्वास्थ्य कर्मियों का उत्साहवर्धन भी हुआ है। साथ ही इस रैंकिंग को बरकरार रखने के साथ आगे बढ़ने की चुनौती भी अब बढ़ गयी है। इसके लिए जिले के सभी स्वास्थ्य कर्मियों को बेहतर प्रदर्शन करने होंगे। आने वाले समय में जिला टॉप 3 की सूची में शामिल हो सकेगा। इसमें डीपीएम अरविंद कुमार, जिला अनुश्रवण सह मूल्यांकन पदाधिकारी भानु शर्मा, डीपीसी रमेश चन्द्र प्रसाद समेत सभी स्वास्थ्य कर्मियों का सहयोग सराहनीय है।

स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में हो रही बढ़ोतरी:
सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि सरकारी अस्पतालों की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हुआ है। राज्य स्वास्थ्य समिति की ओर से रैंकिंग जारी की गई है। जिसमें जिले को राज्य भर में 11वां स्थान प्राप्त हुआ है। यह स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में हो रही बढ़ोतरी को दर्शाता है। सभी स्वास्थ्य कार्यक्रमों का लाभ समुदाय के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचना जरूरी है। इसके लिए जिला स्वास्थ्य विभाग निरंतर प्रयासरत है। आने वाले समय में इससे भी बेहतर रैंकिंग की उम्मीद की जा सकती है।

इन सूचकांकों को किया गया शामिल :
34 स्वास्थ्य सूचकांकों पर रैंकिंग तैयार की गयी है। जिसके लिए 800 अंक निर्धारित किये गए थे। जिसमें गर्भवती महिलाओं का निबंधन, प्रसव पूर्व पहली तिमाही में महिलाओं का निबंधन, संस्थागत प्रसव, आधुनिक परिवार कल्याण के उपायों की दर, सिक न्यू बॉर्न केयर यूनिट में भर्ती बच्चों की संख्या, भर्ती रहे दिनों की संख्या, पूर्ण टीकाकरण, खून की कमी दूर करने में आयरन टैबलेट की आपूर्ति, एंबुलेंस का प्रतिदिन परिवहन दर, पीएचसी स्तर पर प्रति लाख जनसंख्या में हर माह ओपीडी की सेवा उठाने वाले मरीजों की संख्या आदि शामिल किया गया है।

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