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अनियमित सत्र के खिलाफ जय प्रकाश विश्वविद्यालय का आइसा ने किया घेराव

विश्वविद्यालय के सभी अगीभूत कॉलेजो में छात्र-छात्राओं के सुरक्षा की गारंटी करो: आइसा.

विश्वविद्यालय के शिक्षक एवं कर्मचारियों के सभी रिक्त पदों पर नियुक्ति हो और उन्हें ससमय वेतन देने की गारंटी करो।

छपरा . बुधवार को जयप्रकाश विश्वविद्यालय के सभी संबंधित कॉलेजों में पूरे महीने कैंपेन करने के बाद आज जयप्रकाश विश्वविद्यालय का आइसा ने घेराव किया। आइसा के छात्रों ने छपरा के नवाजी टोला चौक से मार्च करते हुए यू जी से पी जी तक के सभी विलंब सत्रों को ठीक कारों” के नारे के साथ जयप्रकाश विस्वविद्यालय कैंपस पहुंचा और प्रशासनिक भवन के बाहर कुलपति के समक्ष अपने विभिन्न मांगों को रखा। जिसमें

छात्र संघ चुनाव की तिथि अभिलंब घोषित हो।

एकेडमिक कैलेंडर को सख्ती से लागू किया जाए।

नई शिक्षा नीति 2020 वापस हो, फीस वृद्धि पर रोक लगाई जाए।

.सभी कॉलेजों में स्नातकोत्तर की पढ़ाई शुरू किया जाए।

सभी तरह के प्रमाण पत्र छात्रों को समय से उपलब्ध कराया जाए।

सभी कॉलेजों में प्रयोगशाला एवं पुस्तकालय की व्यवस्था सुनिश्चित हो।

सभी कॉलेजों में स्थाई प्राचार्य की नियुक्ति हो।

नियमित रूप से पेट परीक्षा आयोजित किया जाए।

विश्वविद्यालय में एल०एल०बी० की पढ़ाई शुरू किया जाए।

विश्वविद्यालय की शाखा सीवान और गोपालगंज में खोला जाए।

छात्रों के लिए एम एस टी का व्यवस्था बहाल हो।

जर्जर पड़े भवन का पुनर्निर्माण कराया जाए।

विश्वविद्यालय में प्रेस का स्थापना किया जाए। विश्वविद्यालय के शिक्षक एवं कर्मचारियों के सभी रिक्त पदों पर नियुक्ति की जाए सहित अन्य मांगे शामिल थी।

कार्यक्रम में उपस्थित आइसा के प्रदेश सचिव साबीर कुमार ने कहा कि मौजुदा समय में छात्र-छात्राओं को कैम्पस में बुनियादी सुविधा का अभाव है, और राज्यपाल महोदय पिछले कई सालो से स्टूडेंट्स की समस्याओं को दूर करने की बात कर रहे है और अब विवि. में उच्च शिक्षा की तस्वीर बदलने की बात करते है. इनके बयान में जितने वादे किए गए है, अभी के समय में सब फेल साबित हुई है. ऐसे में विवि. के कुलपति महोदय की मनमानी और कैम्पसो में बढते अराजकता, फीस वृद्धि, अवैध वसुली, छात्राओं की असुरक्षा जैसी स्थिति का सामना छात्रों को मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा है, ऐसे में विवि. प्रशासन विवि. को गर्त में ले जा रही है व छात्रों का भविष्य शिक्षा के क्षेत्र से कोसो दुर होता जा रहा है. यह स्थिति बिहार राज्य के लिए असंवेदनशील है। बिहार के सभी विवि. के संबद्ध काॅलेज प्रशासन की मनमानी और विवि. प्रशासन की लापरवाही व बिहार सरकार की नजरअंदाज की स्थिति विवि. को गर्त में ले जा रहा है. छात्र-छात्राओं का भविष्य अंधकारमय व शोषित-वंचित समाज वर्ग के स्टूडेंट्स का उज्जवल भविष्य को उच्च शिक्षा से दुर किये जाने के विरोध में आइसा का आंदोलन जारी रहेगा।

राज्य उपाध्यक्ष कुणाल कौशिक ने कहा की जयप्रकाश विश्वविद्यालय के छपरा में कई कॉलेजों है लेकिन सभी कॉलेजों की स्थिति जर्जर है, जगदम कॉलेज और राजेंद्र कॉलेज जैसे ऐतिहासिक कॉलेज में भी क्लासरूम नही होने से प्रयोगशाला में वनस्पति विज्ञान और जंतु विज्ञान के क्लास चल रहे हैं। प्रयोगशालाओं में आवश्यक उपकरण भी नही है, वही PN सिंह कॉलेज कैंपस में बाढ़ का पानी भर जाने से क्लास बाधित है।

राज्य सहसचिव प्रिंस पासवान ने कहा कि डीएवी कॉलेज में छात्रावास की व्यवस्था की जाए छात्रों के लिए नियमित क्लास की व्यवस्था की जाए ,पढ़ाई की व्यवस्था की जाए, शौचालय साफ सफाई की व्यवस्था की जाए और लाइब्रेरी कार्ड और लाइब्रेरी में पढ़ाई की व्यवस्था की जाए सभी किताबों की व्यवस्था की जाए स्थाई कर्मचारियों की व्यवस्था की जाए स्थाई प्राचार्य हो कॉलेज में साफ सफाई की व्यवस्था की जाए।

गोपालगंज के आइसा नेता प्रभात कुमार ने कहा कि गोपालगंज के कॉलेज में लाइब्रेरी की व्यवस्था नहीं है और जहां है वह नियमित रूप से खुलता नहीं है. वहीं कॉलेज की भवन जर्जर स्थिति में है उसे दुरुस्त करने की जरूरत है।

2:00 तक लगातार विश्वविद्यालय को घेरने के बाद हमारी सम्मानजनक वार्ता कुलपति महोदय से हुई। कुलपति महोदय, प्रॉक्टर सर एवम अन्य पदाधिकारी के साथ हमारे बीच करीब डेढ़ घंटे तक बैठे और हमारे सभी सवालों को सुना और उन्हें हल करने की दिशा में संतोषजनक आश्वासन दिया। आगे उन्होंने कहा कि जनवरी 2025 तक सभी विलम्ब से चल रहे सत्र को ठीक किया जाएगा एवं लगभग सभी सिस्टम को भी ठीक कर दिया जाएगा।

 

कार्यक्रम में मौजूद थे विश्वविद्यालय जिला प्रभारी दीपांकर कुमार। आइसा सिवान जिला अध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार,सुनिल कुमार, अनीश कुमार विकास पासवान, सोनू कुमार मनीष कुमार, विकास यादव, अनुज दास, रानी कुमारी, प्रभात कुमार, ग्यासुद्दीन अंसारी, मिथिलेश कुमार, रोहित कुमारमंटू चौधरी, सोहन पासवान, साहिल, स्वेता तिवारी, बंदना आदि थे।

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