छपरा में बाढ़ का कहर: वर्तमान स्थिति, कारण, प्रभाव और आगे की चुनौतियाँ

 I. कार्यकारी सारांश
अगस्त 2025 में छपरा शहर एक गंभीर बाढ़ की चपेट में है, जिससे शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में जनजीवन और व्यापार व्यापक रूप से प्रभावित हुआ है। गंगा और सरयू (घाघरा) नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर या उसके करीब बह रहा है, जिसके परिणामस्वरूप शहर के कई प्रमुख व्यावसायिक और आवासीय इलाके जलमग्न हो गए हैं।
सरकारी बाजार, साहेबगंज-तिनकोनिया, पुरानी गुड़हट्टी, मौना चौक, करीम चक, और डोरीगंज बाजार जैसे मुख्य व्यापारिक केंद्र पूरी तरह से डूब गए हैं, जिससे हजारों व्यापारियों का कारोबार ठप हो गया है और दैनिक जीवन बुरी तरह बाधित हुआ है । सड़कों पर 1 से 1.5 फीट पानी जमा होने से आवागमन मुश्किल हो गया है, और पहले से ही डबल डेकर निर्माण के कारण बाधित सड़कें इस स्थिति को और गंभीर बना रही हैं ।
बाढ़ का मुख्य कारण ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश और नदियों के जलस्तर में अप्रत्याशित वृद्धि है। विशेष रूप से, खनुआ नाला और खुले स्लुइस गेट्स के माध्यम से शहर में पानी का प्रवेश स्थिति को और बिगाड़ रहा है ।
जिला प्रशासन ने स्थिति को देखते हुए तत्काल कदम उठाए हैं; सभी बीडीओ (प्रखंड विकास पदाधिकारी) और सीओ (अंचल अधिकारी) को अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए गए हैं, और एक आपातकालीन नंबर भी जारी किया गया है । जल निकासी के लिए वाटर पंप लगाए गए हैं और प्रभावित क्षेत्रों के लिए नावों की व्यवस्था की जा रही है । हालांकि, कई क्षेत्रों में अभी भी सरकारी मदद का इंतजार है, और स्थानीय लोगों को भोजन, पानी और मवेशियों के चारे जैसी बुनियादी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है ।
आगामी दिनों में भी बारिश का पूर्वानुमान है, जिससे नदियों के जलस्तर में और वृद्धि की संभावना है । यह इंगित करता है कि स्थिति में तत्काल सुधार की संभावना कम है और राहत एवं पुनर्वास प्रयासों को जारी रखने की आवश्यकता होगी।

II. छपरा में वर्तमान बाढ़ की स्थिति

छपरा शहर वर्तमान में एक अभूतपूर्व बाढ़ संकट का सामना कर रहा है, जिसने कई वर्षों बाद इस पैमाने पर कहर बरपाया है। सरयू नदी का रौद्र रूप 2008 के बाद पहली बार देखा गया है, जब इसके उफान ने पूरे छपरा शहर को अपनी चपेट में ले लिया, जिससे लोगों की मुश्किलें कई गुना बढ़ गईं । यह बाढ़ केवल निचले इलाकों तक सीमित नहीं है, बल्कि अब शहर के मुख्य बाजारों और घनी आबादी वाले मोहल्लों तक भी पहुँच गई है ।
शहर के किन इलाकों में पानी घुसा है?
बाढ़ का पानी छपरा के कई महत्वपूर्ण शहरी और व्यावसायिक क्षेत्रों में प्रवेश कर चुका है। इनमें सरकारी बाजार, साहेबगंज-तिनकोनिया और पुरानी गुड़हट्टी जैसे प्रमुख व्यापारिक केंद्र शामिल हैं, जो अब पूरी तरह से जलमग्न हैं । इसके अतिरिक्त, मौना चौक, करीम चक , कटहरी बाग , रूपगंज , और डोरीगंज बाजार भी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। शहर के प्रशासनिक केंद्र भी अछूते नहीं रहे हैं; कलेक्ट्रेट और अन्य सरकारी कार्यालयों में भी पानी घुस गया है । नगर पालिका चौक और निचला रोड भी जलमग्न हैं। आवासीय क्षेत्रों में, साहिबगंज चिकटोली , सीढ़ी घाट, नेताजी टोला, धर्मशाला, रावल टोला, और नई बस्ती के निचले इलाके पूरी तरह से पानी में डूब गए हैं । सलेमपुर और पीएन सिंह कॉलेज के पास एनएच 19 पर भी पानी पहुँच चुका है।
यह बाढ़ केवल शहरी केंद्रों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सारण जिले के ग्रामीण और दियारा (नदी के किनारे के निचले इलाके) क्षेत्रों में भी व्यापक रूप से फैल गई है। लगभग दो दर्जन गाँव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं, जिससे लगभग 20,000 की आबादी प्रभावित हुई है । सदर प्रखंड के बड़हरा महाजी, चकिया, कुतुबपुर, दयालचक, सबलपुर, सुरतपुर, रायपुर, बिदगांवा और बलवन टोला जैसे गाँव बुरी तरह प्रभावित हैं। चिरान्द, सींगही, नेहाला टोला, मुसेपुर, डुमरी, संठा, मौजमपुर , रामपुर दियारा, टोपरा दियारा और कारगिल लाल बतानी जैसे गाँव भी बाढ़ की चपेट में आ गए हैं । यह स्थिति दर्शाती है कि बाढ़ का प्रभाव भौगोलिक रूप से व्यापक है और विभिन्न प्रकार की आबादी को प्रभावित कर रहा है, जिसके लिए एक बहुआयामी राहत और पुनर्वास दृष्टिकोण की आवश्यकता होगी।

सड़कों पर जलजमाव और आवागमन की स्थिति
छपरा शहर की सड़कों पर 1 से 1.5 फीट तक पानी जमा हो गया है, जिससे लोगों का घर से बाहर निकलना अत्यंत मुश्किल हो गया है । स्थिति की गंभीरता इस बात से और बढ़ जाती है कि शहर में पहले से ही डबल डेकर के निर्माण के कारण कई सड़कें बाधित हैं, और अब बाढ़ के पानी के सड़क पर आ जाने से स्थानीय लोगों की परेशानी कई गुना बढ़ गई है । छोटे वाहन और राहगीर जान जोखिम में डालकर पानी से भरे डायवर्जन को पार करने को मजबूर हैं, जहाँ लगभग एक से डेढ़ फीट तक पानी बह रहा है ।
बाढ़ ने सारण जिले में कनेक्टिविटी को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। जेपी के गाँव सिताबदियारा का जिला मुख्यालय से संपर्क भंग हो गया है । इसी तरह, आरा-छपरा पुल से लगभग दो दर्जन गाँवों का संपर्क पूरी तरह टूट चुका है, और कई गाँव तो टापू में तब्दील हो गए हैं । यह बुनियादी ढांचे और दैनिक जीवन पर गहरा प्रभाव डालता है। सड़कों पर जलजमाव, विशेषकर पहले से बाधित सड़कों पर, आवागमन को पूरी तरह से ठप कर देता है। स्कूलों का बंद होना, बीमार लोगों के लिए अस्पताल तक पहुँचना मुश्किल होना, और घरों में पानी घुसना यह स्पष्ट करता है कि बाढ़ ने केवल आर्थिक गतिविधियों को ही नहीं, बल्कि नागरिकों के बुनियादी दैनिक जीवन, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच को भी गंभीर रूप से बाधित किया है।

जनजीवन पर सीधा प्रभाव : बाढ़ का पानी सीधे लोगों के घरों में प्रवेश कर गया है, जिससे निचले इलाकों के घर पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं और लोग बेघर होने को मजबूर हैं । दैनिक जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है; ग्रामीण इलाकों में लोगों को भोजन, पीने के पानी, बिजली और मवेशियों के चारे की भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है । बाढ़ के पानी के साथ सांप, बिच्छू जैसे जहरीले जीवों का घरों में प्रवेश करना और मवेशियों की बीमारियों का खतरा बढ़ना स्थिति को और भी गंभीर बना रहा है । स्कूली बच्चे सड़कों पर जलजमाव के कारण स्कूल नहीं जा पा रहे हैं । सोनपुर प्रखंड में 23 स्कूलों में बाढ़ का पानी घुसने के कारण कक्षाएं बंद कर दी गई हैं । बीमार रोगियों को अस्पताल और चिकित्सकों के पास ले जाना भी एक बड़ी मुसीबत बन गया है । बाढ़ से कई जिलों के हालात बिगड़ गए हैं, और लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हैं ।

  ■ छपरा शहर के मुख्य बाजारों और व्यावसायिक केंद्रों का जलमग्न होना स्थानीय व्यापारिक समुदाय के लिए एक गंभीर झटका है। सरकारी बाजार, साहेबगंज-तिनकोनिया और पुरानी गुड़हट्टी जैसे इलाकों में हजारों की संख्या में दुकानें और फुटपाथ व्यवसाय प्रभावित हुए हैं । मुख्य बाजारों में व्यापार पूरी तरह से ठप हो गया है, और सब्जी मंडी तथा सुनारपट्टी की ज्वेलरी दुकानें बंद हो गई हैं । यह केवल तात्कालिक आर्थिक नुकसान नहीं है, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था पर दीर्घकालिक प्रभाव डालेगा, क्योंकि व्यवसायों को फिर से पटरी पर आने में समय लगेगा।
किसानों के लिए भी स्थिति उतनी ही गंभीर है। उनकी फसलें पानी में डूबकर बर्बाद हो गई हैं, और भारी मात्रा में सब्जियां भी नष्ट हो चुकी हैं । बाढ़ का पानी फैल जाने से किसानों के सामने अपने पशुओं के लिए चारे का भी गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है । व्यापारिक समुदाय पर यह दोहरा मार है, क्योंकि उन्हें एक तरफ अपनी दुकानों और माल के नुकसान का सामना करना पड़ रहा है, और दूसरी तरफ, सामान्य आर्थिक गतिविधियाँ रुक जाने से उनकी आय का स्रोत भी बंद हो गया है।

III. बाढ़ के मुख्य कारण
छपरा में वर्तमान बाढ़ की स्थिति कई जटिल कारकों का परिणाम है, जिनमें नदियों के जलस्तर में अप्रत्याशित वृद्धि, भौगोलिक और जल निकासी संबंधी चुनौतियाँ, और ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश शामिल हैं।
नदियों के जलस्तर में वृद्धि
बाढ़ का एक प्रमुख कारण सरयू नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि है, जिसके बाद छपरा शहर के निचले इलाकों में पानी प्रवेश कर गया । गंगा नदी भी लगातार उफान पर है और बक्सर से फरक्का तक खतरे के निशान से ऊपर बह रही है । गंगा, सरयू और सोन नदियों में आए उफान ने सारण जिले के दियारा और तटीय इलाकों के हालात को और बिगाड़ दिया है । इसके अतिरिक्त, मध्य प्रदेश के बाणसागर बांध से 1.25 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जो सोन नदी के माध्यम से गंगा में पहुँच रहा है, जिससे जलस्तर में और वृद्धि हो रही है ।
यह स्थिति दर्शाती है कि छपरा में बाढ़ केवल गंगा या सरयू (घाघरा) के कारण नहीं है, बल्कि यह गंगा, सरयू, गंडक, सोन और अन्य सहायक नदियों के संयुक्त उफान का परिणाम है। यह एक जटिल बहु-नदी प्रणाली का प्रभाव है, जहाँ एक नदी में वृद्धि अन्य नदियों को भी प्रभावित कर सकती है, जिससे एक व्यापक और समन्वित बाढ़ प्रबंधन रणनीति की आवश्यकता होती है, न कि केवल व्यक्तिगत नदियों पर ध्यान केंद्रित करने की।
भौगोलिक और जल निकासी संबंधी कारक
सारण एक तटवर्ती जिला है और निचली गंगा बेसिन का हिस्सा है, जिसके कारण बाढ़ यहाँ एक सामान्य घटना है । गंगा, घाघरा (सरयू) और गंडक जैसी बारहमासी नदियाँ जिले की जल निकासी व्यवस्था को नियंत्रित करती हैं । हालांकि, इस बार कुछ विशिष्ट भौगोलिक और मानव निर्मित कारकों ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। खनुआ नाला का नदी से संपर्क होने के कारण बाढ़ का पानी सीधे शहर में प्रवेश कर गया है । इसके अलावा, खुले स्लुइस गेट्स के कारण भी गंगा का पानी छपरा शहर में घुस गया है, जिससे खनुआ नाला का पानी नगर पालिका चौक तक पहुँच गया है । सोंधी नदी के मुहाने पर स्थित स्लुइस गेट के ऊपर से भी बाढ़ का पानी बह रहा है और बांध कट कर ध्वस्त हो रहा है, जिससे आसपास के गाँवों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है ।
खनुआ नाला और खुले स्लुइस गेट्स के माध्यम से शहर में पानी का प्रवेश यह दर्शाता है कि अपर्याप्त शहरी जल निकासी प्रणाली और बुनियादी ढांचे की विफलता भी बाढ़ को बढ़ा रही है। यह केवल एक प्राकृतिक घटना नहीं है, बल्कि इसमें मानव निर्मित कमजोरियाँ भी शामिल हैं, जिन पर दीर्घकालिक समाधान के लिए ध्यान देने की आवश्यकता है। यह एक इंजीनियरिंग और शहरी नियोजन चुनौती को उजागर करता है जो केवल प्राकृतिक आपदा से परे है।

ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश
बिहार में बाढ़ की स्थिति का एक महत्वपूर्ण कारण उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश जैसे ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में हुई भारी बारिश है। इन राज्यों में लगातार बारिश के कारण गंगा और सरयू नदियों में उफान आया है, जिसका सीधा असर बिहार और विशेष रूप से छपरा पर दिख रहा है । गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि का प्राथमिक कारण उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पड़ोसी राज्यों में लगातार हो रही बारिश है । यह स्पष्ट करता है कि छपरा में बाढ़ की स्थिति केवल स्थानीय कारकों पर निर्भर नहीं करती है, बल्कि यह पूरे नदी बेसिन में ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में होने वाली घटनाओं से भी सीधे जुड़ी हुई है।

IV. नदियों का जलस्तर: वर्तमान और पूर्वानुमान
छपरा में बाढ़ की गंभीरता को समझने के लिए नदियों के जलस्तर की वर्तमान स्थिति और आगामी दिनों के पूर्वानुमान का विश्लेषण महत्वपूर्ण है। गंगा और उसकी सहायक नदियाँ कई स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जो एक गंभीर स्थिति को दर्शाता है।

वर्तमान जलस्तर (अगस्त 2025)
गंगा नदी बक्सर से फरक्का तक खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जिससे बिहार के कई जिलों में बाढ़ आई हुई है ।
■ छपरा में गंगा और घाघरा (सरयू): 7 अगस्त 2025 को घाघरा (सरयू) के साथ गंगा भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जिससे छपरा समेत कई इलाकों में हड़कंप मचा हुआ है । 7 अगस्त 2025 को छपरा से सोनपुर तक गंगा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जिससे सदर प्रखंड के दियारा क्षेत्र की तीन पंचायतों के दर्जनों गाँव जलमग्न हो गए हैं । 7 अगस्त 2025 को छपरा में घाघरा का जलस्तर 53.09 मीटर दर्ज किया गया है, जबकि खतरे का निशान 53.68 मीटर है । हालांकि, सरयू का रौद्र रूप 2008 के बाद पहली बार देखा गया है, जिससे पूरे छपरा शहर में पानी घुस गया है ।
■ पटना में गंगा: 8 अगस्त 2025 को गांधी घाट पर गंगा का जलस्तर 50.09 मीटर / 50.20 मीटर दर्ज किया गया है, जबकि खतरे का निशान 48.60 मीटर है। यह खतरे के निशान से 160 सेमी ऊपर है और 2016 के उच्चतम बाढ़ स्तर (HFL) 50.52 मीटर से केवल 32 सेमी नीचे है । दीघा घाट पर जलस्तर खतरे के निशान 50.45 मीटर को पार कर 50.81 मीटर पर पहुंच गया है । मनेर घाट पर भी जलस्तर खतरे के निशान 52.00 मीटर को पार कर 52.74 मीटर पर पहुंच गया है ।
■ बक्सर में गंगा: 7 अगस्त 2025 को बक्सर में गंगा का जलस्तर 60.85 मीटर पर है और खतरे के निशान के करीब है । 3 अगस्त 2025 को यह खतरे के निशान से 14 सेंटीमीटर ऊपर था । बक्सर में हाल ही में 15 वर्षों का रिकॉर्ड पानी आया है ।
■ भागलपुर में गंगा: 8 अगस्त 2025 को भागलपुर में गंगा खतरे के निशान से ऊपर 34.32 सेंटीमीटर दर्ज की गई है । यह अपने उच्चतम बाढ़ स्तर से 50 सेमी नीचे है ।
अन्य प्रमुख नदियाँ:
गंडक: हाजीपुर में 50.10 मीटर (खतरे का निशान 50.32 मीटर) और रेवा में 53.83 मीटर (खतरे का निशान 54.41 मीटर) ।
■ कोसी नदी में उफान जारी है, जबकि कर्मनाशा का पानी घट रहा है, लेकिन अभी भी खतरे के निशान से ऊपर है ।
■ सोन नदी स्थिर है, जबकि बूढ़ी गंडक का पानी खगड़िया में बढ़ रहा है ।

ऐतिहासिक उच्चतम जलस्तर से तुलना
गंगा का वर्तमान जलस्तर कई स्थानों पर 1994 के रिकॉर्ड से केवल सात सेमी ही नीचे है । यह एक महत्वपूर्ण तुलना है, जो वर्तमान बाढ़ की असाधारण प्रकृति को दर्शाती है। गांधी घाट पर पिछले साल (2024) गंगा का जलस्तर 48.82 मीटर था, जो इस साल के जलस्तर से 138 सेमी नीचे है । यह आँकड़े बताते हैं कि यह केवल एक मौसमी बाढ़ नहीं है, बल्कि एक असाधारण घटना है जो पिछली कुछ दशकों में नहीं देखी गई है। इसका अर्थ है कि वर्तमान बाढ़ की गंभीरता और प्रभाव सामान्य से कहीं अधिक है, और इसके लिए असाधारण प्रतिक्रिया और दीर्घकालिक अनुकूलन रणनीतियों की आवश्यकता हो सकती है।

आगामी दिनों के लिए जलस्तर का पूर्वानुमान
यदि बारिश जारी रही, तो गंगा नदी इस साल नया उच्चतम बाढ़ स्तर (HFL) बना सकती है । केंद्रीय जल आयोग के पूर्वानुमान के अनुसार, बक्सर में गंगा का जलस्तर 5 अगस्त तक लगातार बढ़ने और खतरे के निशान से 55 से 60 सेंटीमीटर ऊपर बहने का अंदेशा जताया गया था । जल संसाधन विभाग के अनुसार, अगले 2-3 दिनों तक जलस्तर में और वृद्धि हो सकती है । हालांकि, 8 अगस्त 2025 को गाजीपुर (यूपी) में गंगा का जलस्तर एक सेंटीमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से घटने लगा है, जिससे तटवर्ती इलाकों में राहत की सांस ली गई है, हालांकि यह अभी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है । गाजीपुर में जलस्तर घटने की खबर एक संभावित राहत का संकेत है, लेकिन इसका प्रभाव छपरा जैसे डाउनस्ट्रीम क्षेत्रों तक पहुँचने में समय लगेगा। यह दर्शाता है कि बिहार में बाढ़ की स्थिति केवल स्थानीय कारकों पर निर्भर नहीं करती, बल्कि पड़ोसी राज्यों और नदी बेसिन प्रबंधन से भी सीधे जुड़ी हुई है।

V. प्रशासन की प्रतिक्रिया और राहत कार्य
छपरा में बाढ़ की गंभीर स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन ने त्वरित प्रतिक्रिया दी है और राहत कार्यों के लिए कई कदम उठाए हैं।

तत्काल अलर्ट और निर्देश
छपरा जिले में नदियों के जलस्तर में वृद्धि के कारण कई निचले इलाकों में पानी तेजी से फैलने के बाद प्रशासन ने सभी को अलर्ट जारी किया है। निचले क्षेत्रों का निरीक्षण करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि जमीनी स्थिति का आकलन किया जा सके । जिला प्रशासन ने सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) और अंचल अधिकारी (सीओ) को अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए हैं, जिससे स्थानीय स्तर पर प्रभावी समन्वय और प्रतिक्रिया सुनिश्चित की जा सके । जिलाधिकारी ने स्थिति से निपटने के लिए अंचल अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक भी की है, जो स्थिति की गंभीरता और त्वरित निर्णय लेने की आवश्यकता को दर्शाता है ।

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