बिहार में अपराधी घटनाओं को लेकर विपक्ष के दबाव में जदयू ने दिया जवाब पेश किया आंकड़ा

डेस्क: 2022 के NCRB रिपोर्ट के अनुसार बिहार में अपराध दर 277.1 अपराध प्रति लाख जनसंख्या है जो कि राष्ट्रीय औसत 422.2 से कहीं बेहतर है। केरल, तमिलनाडु, दिल्ली, छत्तीसगढ़, राजस्थान, ओड़िसा, आंध्र प्रदेश समेत 16 ऐसे छोटे बड़े राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हैं जहां का अपराध दर बिहार से कहीं अधिक है। (आँकड़े टेबल-१ में दिया गया है।)

2. बिहार में शराबबंदी को आप अगर अपराध नहीं माने तो बिहार पिछले एक दशक के दौरान अपराध में सुधार करने के मामले में कई प्रमुख राज्यों में से बेहतर हैं। उदाहरण के लिए NCRB के अनुसार बिहार में साल 2013 में IPC अपराध दर 166.3 अपराध प्रति एक लाख जनसंख्या था जो 2022 में मामूली

रूप से बढ़कर 168.1 हुआ है। जबकि इसी दौरान राष्ट्रीय औसत 215.5 से बढ़कर 258.1 हो गया। इसी तरह 17 ऐसे अन्य राज्य हैं जहां IPC अपराध दर बिहार से कहीं ज़्यादा है। (सूची टेबल-२) में है।

3. NCRB के नवीनतम रिपोर्ट (2022) के अनुसार जो बिहार अपराध के ऑकर्डो में जो वृद्धि होने का दावा किया जाता है वो वृद्धि IPC में नहीं बल्कि सिर्फ SLL में हुआ है और उसी SLL के तहत शराबबंदी कानून लागू हुआ है। मतलब अगर आप बिहार में शराबबंदी कानून के तहत दर्ज आपराधिक मामलों को अलग कर दें तो बिहार में अपराध में वृद्धि मात्र 1.8 अपराध प्रति एक लाख जनसंख्या की हुई है जबकि देश के अन्य राज्यों और राष्ट्रीय औसत बिहार से कहीं अधिक है।

4. बिहार में अपराध बढ़ने का तो कोई सवाल ही नहीं पैदा होता है। और इसका जीता जगत उदाहरण है अभी प्रकाशित हुई इंडिया जस्टिस रिपोर्ट के आँकड़े। बिहार का रैंक सभी मनकों में सुधरा है और कुछ मानक पर तो बिहार पहले स्थान पर है। (रैंकिंग की पूरी सूची टेबल-३ में दिया गया है)

5. बिहार प्रति पुलिस के ट्रेनिंग पर 20530 रुपए खर्च करता है और पहले स्थान पर जबकि दूसरे स्थान पर रहने वाले मध्य प्रदेश में एक पुलिस की ट्रेनिंग पर मात्र 15235 रुपए खर्च करता है जबकि पश्चिम बंगाल मात्र 125 रुपए खर्च करता है। इसी तरह से महिला पुलिस के मामले में भी बिहार पहले स्थान पर है।

6. हमारा न्याय के साथ विकास का मॉडल सिर्फ महिला तक सीमित नहीं है। बिहार पुलिस में जितना पद OBC के लिए आरक्षित होना चाहिए उसका 143% पदों पर OBC उम्मीदवार आसीन हैं और 102.9% SC पुलिस कर्मचारी आसीन हैं।

7. बिहार में सुशासन का क्या असर है कि जिस बिहार में साल 2016 में राज्य के खिलाफ अलग अलग तरह के 207 अपराध हुए थे उसी बिहार में साल 2020 में राज्य के खिलाफ मात्र 100 और 2022 में मात्र 34 अपराध हुआ है। साल 2022 के NCRB रिपोर्ट के अनुसार गैन्स्टर, चोर-डकैत आदि अपराधी के हाथों ऑन डूटी घायल होने वाले पुलिस वालों की संख्या सबसे ज्यादा केरल में 265, और उड़ीसा में 202 थी जबकि बिहार में मात्र 8 थी और हरियाणा 12, कर्नाटक में 13, केरल में 126, राजस्थान में 92, तमिलनाडु में 10, दिल्ली में 43 और उत्तर प्रदेश में 21 थे। इसी तरह से आम जनता की उद्य भीड़ के ‌द्वारा किए गए हिंसा में घायल होने वाले पुलिसवार्ता की संख्या पूरे देश में सबसे ज्यादा केरल में 139 पुलिस वाले घायल हो गए थे जबकि बिहार में यह संख्या मात्र 56 है।

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