-प्रत्येक पीएचसी को एईएस किट तैयार रखने के निर्देश
-पीएचसी में 2 आइसोलेशन बेड तथा अनुमंडलीय व जिला स्तर पर 5 बेड सुरक्षित रखने के निर्देश
– गर्मियों के मौसम बच्चों में चमकी की ज्यादातर रहती है संभावना
छपरा,3 अप्रैल । चमकी बुखार (एईएस)व जेई की रोकथाम, प्रसार तथा उपचार को लेकर अस्पताल प्रबंधन पूरी तरह अलर्ट मोड में है। . जिसके लिए सभी प्रखंडों के बीसीएम व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित भी किया गया है। . प्रखंड स्तर पर आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। . जिले के शिक्षकों, स्वयं सहायता समूह एवं जनप्रतिनिधियों को सहयोग करने की अपील की गयी है। . प्रत्येक पीएचसी को एईएस किट तैयार रखने का निर्देश दिया गया है। ताकि किसी भी स्थिति से निपटने के लिए मरीजों को तुरंत दवा मुहैया कराई जा सके,। साथ ही प्रत्येक पीएचसी में 2 आइसोलेशन बेड तथा अनुमंडलीय व जिला स्तर पर 5 बेड सुरक्षित रखने के निर्देश दिया गया है। . ताकि गर्मियों के मौसम में एईएस/जेई के मामलों से बच्चों को सुरक्षित किया जा सके।
अप्रैल से जुलाई तक के महीनों में होते हैं ज्यादातर मामले:
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि गर्मियों में बच्चों को ज़्यादा सावधानी बरतनी आवश्यक है। क्योंकि इसी समय में एईएस-चमकी रोग के बढ़ने की ज्यादा संभावना बनी रहती है। अप्रैल से जुलाई तक के महीनों में छह माह से 15 वर्ष तक के बच्चों में चमकी की संभावना ज्यादा होती है। चमकी के लक्षण मिलते ही बच्चों को तुरंत सरकारी अस्पताल ले आएं, बिल्कुल भी देरी न करें। अस्पताल से दूरी होने पर एम्बुलेंस किराए पर लेकर तुरंत पहुंचे। यात्रा का भाड़ा अस्पताल द्वारा दिया जाएगा।
चमकी से बचाव के तरीके:
बच्चे रात में खाली पेट न सोएं। बेवजह धूप में न निकलें। कच्चे, अधपके व कीटनाशकों से युक्त फलों का सेवन न करें। सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर ओआरएस के पाउडर व पारासिटामोल की गोली पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रखने का निर्देश दिया गया है। ताकि जिले में चमकी के प्रभाव को रोका जा सके। चमकी बुखार से बचाव को जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों को अलर्ट रहने का निर्देश दिया गया है। साथ ही मेडिकल टीमों को जन जागरूकता व मेडिकल व्यवस्था के साथ तैयार रहने का निर्देश दिया गया है। बच्चों के माता-पिता अपने शिशु के स्वास्थ्य के प्रति अलर्ट रहें। समय-समय पर देखभाल करते रहें। बच्चों को मौसमी फलों, सूखे मेवों का सेवन करवाएं। उनके हाथों व मुँह की साफ सफाई पर विशेष ध्यान दें। छोटे बच्चों को मां का दूध पिलाना बेहद आवश्यक है।
चमकी बुखार के लक्षण:
लगातार तेज बुखार रहना, बदन में लगातार ऐंठन होना, दांत पर दांत दबाए रहना, सुस्ती चढ़ना, कमजोरी की वजह से बेहोशी आना, चिउटी काटने पर भी शरीर में कोई गतिविधि या हरकत न होना आदि चमकी के लक्षण हैं ।
चमकी बुखार से बचाव को ये सावधानियां हैं जरूरी:
– बच्चे को बेवजह धूप में घर से न निकलने दें।
– गन्दगी से बचें, कच्चे अधपके व कीटनाशकों से युक्त फलों का सेवन न करें।
– ओआरएस का घोल, नीम्बू पानी, चीनी लगातार पिलायें।
– रात में भरपेट खाना जरूर खिलाएं।
– बुखार होने पर शरीर को पानी से पोछें।