• स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल कालेज अस्पतालों और जिला अस्पतालों में आईसीयू के लिए किया गाइडलाइन जारी।
• सर्वोच्च न्यायालय का सख्त निर्देश, स्वास्थ्य स्थिर होने से पहले आईसीयू से नहीं हटाए जा सकते हैं मरीज।
छपरा 2 अगस्त । अब स्वास्थ्य स्थिर होने से पहले मरीज आईसीयू और सीसीयू से वार्ड में शिफ्ट नहीं किए जाएंगे। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग द्वारा विशेषज्ञ समिति की अनुशंसा पर मेडिकल कालेज अस्पतालों और जिला अस्पतालों की आईसीयू के लिए गाइडलाइन जारी कर दिया गया है । मेडिकल कालेज अस्पतालों और जिला अस्पतालों में बेड की क्षमता का 5 से लेकर 25 प्रतिशत बेड का आईसीयू होना अनिवार्य होगा।
एक आईसीयू में होंगे अधिकतम 12 बेड:
स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में गंभीर रूप से बीमार मरीजों के इलाज के संबंध में एक मामले की सुनवाई करते हुए निर्देश जारी किया था। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के आलोक में स्वास्थ्य विभाग ने विशेषज्ञ समिति गठित की। समिति द्वारा आईसीयू और सीसीयू में भर्ती और इलाज से संबंधित विभाग को अपनी अनुशंसा भेजी। स्वास्थ्य विभाग ने समिति की अनुशंसा को मंजूर करते हुए मेडिकल कालेज अस्पतालों और जिला अस्पतालों को लागू करने का निर्देश दिया है। अस्पतालों में कुल बेड की क्षमता का पांच से लेकर पच्चीस प्रतिशत बेड की आईसीयू अनिवार्य रूप से होना चाहिए। एक आईसीयू 12 बेड से अधिक के नहीं हो सकते हैं। एक बेड से दूसरे बेड की दूरी 150 से 200 वर्ग फीट होनी चाहिए। मरीज के सिर वाले हिस्सा में बेड दीवार से दो फीट दूर होना चाहिए। सभी बेड के साथ आधुनिक कार्डियो रेस्पिरेटरी मॉनिटरिंग की व्यवस्था होनी चाहिए।
वेंटिलेटर मैनेजमेंट में प्रशिक्षित रेजिडेंट डॉक्टर को चौबीस घंटे रहना अनिवार्य होगा:
मॉनिटरिंग सिस्टम के सामने ही नर्स के बैठने की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि नर्स इसे आसानी से देख सके । आईसीयू में एक वेंटिलेटर पर एक नर्स रहेंगी । मगर दो बेड पर एक नर्स रह सकती हैं। वेंटिलेटर मैनेजमेंट में प्रशिक्षित रेजिडेंट डॉक्टर को चौबीस घंटे रहना अनिवार्य होगा। आईसीयू का संचालन सीनियर डॉक्टर की देखरेख में किया जाएगा। उनकी मदद में पोस्ट ग्रेजुएट के मेडिकल स्टूडेंट रहेंगे। आईसीयू के लिए फिजियोथेरेपिस्ट, डाइटीशियन और बायोमेडिकल इंजीनियर अनिवार्य रूप से रहेंगे। अस्पतालों में एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, ब्लड बैंक और फार्मेसी होना चाहिए। आपातकाल और महामारी के समय में अस्पतालों को बेड की क्षमता बढ़ाने की व्यवस्था रखने का निर्देश दिया गया है।