News4Bihar | WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के ग्लोबल समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की पारंपरिक औषधि अश्वगंधा का उल्लेख करते हुए आयुष प्रणाली की वैश्विक उपयोगिता पर जोर दिया। पीएम मोदी ने कहा कि भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धतियां आज की जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के समाधान में अहम भूमिका निभा सकती हैं। अश्वगंधा इसका प्रमुख उदाहरण है, जिसे अब दुनिया भर में स्वीकार किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि भारत केवल इलाज नहीं, बल्कि समग्र स्वास्थ्य और रोकथाम पर विश्वास करता है। आयुर्वेदिक औषधियां, विशेषकर अश्वगंधा, शरीर और मन दोनों को संतुलित रखने में मदद करती हैं। यही वजह है कि आज वैश्विक स्तर पर इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है।
क्या है अश्वगंधा और क्यों है खास?
अश्वगंधा को आयुर्वेद में “रसायन” माना गया है। यह एक प्राकृतिक जड़ी-बूटी है, जिसका उपयोग सदियों से सेहत सुधारने के लिए किया जाता रहा है।
अश्वगंधा के प्रमुख फायदे:
तनाव और चिंता को कम करने में सहायक
इम्यूनिटी मजबूत करने में मददगार
थकान और कमजोरी दूर करने में उपयोगी
नींद की गुणवत्ता बेहतर करने में सहायक
मांसपेशियों और याददाश्त को मजबूती प्रदान करता है
दुनिया में बढ़ रहा है भरोसा
पीएम मोदी के इस उल्लेख के बाद एक बार फिर आयुष और भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति पर वैश्विक चर्चा तेज हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि अश्वगंधा जैसी औषधियां भविष्य की हेल्थकेयर प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
निष्कर्ष:
WHO ग्लोबल समिट में अश्वगंधा का जिक्र यह साबित करता है कि भारत की पारंपरिक औषधियां अब केवल देश तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य समाधान के रूप में उभर रही हैं
















