News4Bihar राघोपुर / वैशाली। राघोपुर प्रखंड क्षेत्र में पीएचईडी द्वारा शुद्ध एवं स्वच्छ जल उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी है, लेकिन विभाग द्वारा गाड़े गए चापाकल से आर्सेनिक और आयरन युक्त पानी निकलना स्थानीय लोगों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है। पानी में मौजूद आयरन का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि लगभग हर चापाकल के बेस पर बना चबूतरा पानी के लगातार गिरने से पीला पड़ चुका है।
सूत्रों के अनुसार, राघोपुर प्रखंड के 20 पंचायतों में करीब 3 लाख की आबादी निवास करती है। पीएचईडी इन पंचायतों में भारत हैंडपंप के माध्यम से पीने के पानी की आपूर्ति करता है, लेकिन इन हैंडपंपों से शुद्ध पानी के बजाय दूषित, पीला पड़ने वाला आर्सेनिक युक्त पानी निकल रहा है। बर्तन में भरने के कुछ देर बाद ही पानी का रंग बदल जाता है, जिससे लोग मजबूरी में ऐसा पानी पीने को विवश हैं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि लगभग सभी चापाकल से निकला पानी आयरन की अधिकता के कारण पीला पड़ जाता है। ग्रामीणों के अनुसार, इस पानी से कई तरह की गंभीर बीमारियों का खतरा है—जिनमें पेट की समस्याएं, त्वचा रोग, कैंसर, हाथ-पाँव के तलवों पर दाग-धब्बे जैसी समस्याएं शामिल हैं।
सरकारी एवं स्थानीय चिकित्सकों का कहना है कि आर्सेनिक युक्त पानी पेट संबंधी बीमारियों का प्रमुख कारण बनता है। लोगों को सलाह दी गई है कि पानी को उबालकर और अच्छी तरह छानकर ही सेवन करें। ग्रामीणों ने सरकार और पीएचईडी विभाग से तत्काल प्रभावी कार्रवाई की मांग की है।














