News4Bihar: कटिहार शहर के सिरसा इलाके में न्यू कॉलोनी गौशाला स्थित एक प्राथमिक विद्यालय की हालत देखकर आप भी यही कहेंगे”ये स्कूल है या तबेला” पिछले 10 साल से ज्यादा वक्त से ये विद्यालय टिन शेड के नीचे बच्चों को शिक्षा देने का संघर्ष कर रहा है। जहां एक ओर सरकारें चकाचौंध स्कूल बिल्डिंग्स और स्मार्ट क्लासेज़ की तस्वीरें पेश कर रही हैं, वहीं कटिहार के इस सरकारी स्कूल की सच्चाई आंखें खोलने वाली है। यहां 135 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं, और 8 शिक्षक-शिक्षिकाएं तैनात हैं, लेकिन स्कूल का कोई पक्का भवन नहीं, न बिजली की सुविधा, और नहीं पंखों की ठंडी हवा। हालत यह है कि एक शेड के नीचे कक्षा 1 और 2 का संचालन होता है, जबकि दूसरे शेड में कक्षा 3 से 5 के बच्चे गर्म टीन के नीचे पसीना बहाते हैं। भीषण गर्मी में बच्चों को पढ़ाई नहीं, बल्कि गर्म लोहे की तपिश से जूझना पड़ता है। प्रभारी प्रधानाध्यापिका उषा देवी का कहना है कि भवन निर्माण में देरी का कारण लाल कार्ड की जमीन से जुड़ा विवाद है। दावा किया गया है कि मामला अटका हुआ है लेकिन लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।छात्राओ ने कहा कि गर्मी में बैठना मुश्किल होता है, बारिश आए तो सब भीगते हैं, स्कूल नहीं जेल लगता है। बिहार के शिक्षा तंत्र की ये शर्मनाक तस्वीर है, जो बताती है कि अब भी विकास सिर्फ फाइलों और पोस्टरों तक सीमित है। सवाल उठता है क्या कभी इस स्कूल को भी पक्की छत नसीब होगी या फिर ये तबेला जैसे हालात ही बच्चों की किस्मत बनते रहेंगे।
