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महाराजगंज क्षेत्र में ताश के पत्ते की तरह पुल हुआ धड़ाम।

News4Bihar:बिहार में पुलों के गिरने का ट्रेंड चल रहा है.बिहार में एक के बाद एक पुल गिर रहे हैं. कोई आंधी से तो कोई बिना आंधी और पानी के. ये हाल तब है जब प्रदेश में बारिश नहीं हुई.

बिहार के महाराजगंज क्षेत्र में एक बार फिर गिरा पुल।

महाराजगंज -दरोंदा विधानसभा के बॉर्डर को जोड़ने वाला पुल ताश के पत्ते की तरह ढेर हो गया. बिना बरसात पुल को गिरता देख लोगों ने माथा पीट लिया है. इस बार न आंधी आई और न ही बारिश हुई फिर भी महाराजगंज क्षेत्र के पटेढी – गरौली को जोड़ने वाला नहर पर बना पुल धड़ाम हो गया. आप तस्वीर में सैफ देख सकते है कैसे 30 वर्षो पुराना पुल ताश के पत्ते की तरह धड़ाम हो गया. पटेढी – गरौली पर बना पुल को स्थानीय ग्रामीणों ने आपसी चंदे जोड़कर इस पुल को बनाया था. लेकिन नहर सफाई के बाद तकरीबन सुबह पांच बजे ये पुल ताश के पत्ते की तरह धड़ाम हो गया. ग्रामीणों का गम्भीर आरोप लगाया है कि सफाई के दोरान मिट्टी कटाई के दोरान संवेदक को पुल के पास मिट्टी कताई नही करने का माना किया लेकिन संवेदक नही माने पुल के पास मिट्टी की कटाई कर दी. जिसका नतीजा पानी आने के बाद पुल धड़ाम से गिर गया. पुल गिरने से किसी प्रकार की क्षति नही हुई. लेकिन पटेढी – गरौली को जोड़ने वाला ग्रामीणों का जीवन दायनीय ।

नहर पर बना पुल धड़ाम होने के बाद जीवन अस्त व्यस्त हो गया. आखिर कैसे पार करेगें सबसे बड़ा सवाल खड़ा हो गया. वहीं पुल गिरने की सूचना ग्रामीणों ने देने की बाद कहीं. लेकिन पुल सुबह पांच बजे गिरने के पांच से छह घण्टे बाद मुन्ना सुपरवाइजर आए घटना स्थल पर. सुपरवाइजर के कहाः की हमे अभी सूचना मिली फॉरन घटना स्थल पर आए साथ ही देखते है क्या किया जा सकता हैं. स्थानीय ग्रामीणों का आरोप की सुबह 5 बजे पुल गिरा परंतु अभी तुक प्रशासन नही पहुंचे. ग्रामीणों का आरोप लगाया कि संवेदक द्वारा मिट्टी कटाई के चलते पुल गिरा जबकि संवेदक का कहना है कि पानी आने की वह से पुल गिरा है न कि मिट्टी कटाई से. अब देखना होगा कि पटेढी – गरौली को जोड़ने वाले जीवन दयनीय पुल आखिर कब तक बनकर तैयार होता है ये आने वाला समय बताएगा. लेकिन पुल का धड़ाम होने से लोगों के जीवन पर खासा असर देखने को मिलेगा आखिर कब तक ग्रामीणों कष्ट में जीने को विवश होंगे ये कहना मुश्किल हैं. अब प्रशासन का क्या रुख होता है ये समय बताएगा. तब तक स्थानीय ग्रामीणों अपने को कष्ट काटने को मज़बूर हैं.

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