:: मोतिहारी से संतोष राउत की रिपोर्ट
- पराधीन भारत में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने की थी गांधी पुस्तकालय की स्थापना।
- चंदा और श्रमदान से बना चार कमरे का पक्का भवन।
- गांधी विचार मंच के लोगों ने गांधी पुस्तकालय का किया था दौरा गांधी सर्किट से जोड़ने की उठ रही है मांग।
न्यूज4बिहार/मोतिहारी:पताही प्रखंड मुख्यालय से बारह किलोमीटर उत्तर और पूर्व दिशा की ओर बागमती नदी के किनारे शिवहर सीतामढ़ी सीमावर्ती क्षेत्र से सटे पूर्वी चंपारण जिले के पताही प्रखंड के जिहुली गांव स्थित जिहुली बाजार पर पराधीन भारत के समय स्थापित गांधी जी के प्रेरणा का स्रोत गांधी पुस्तकालय की उपेक्षा की जा रही है। इससे प्रखंड क्षेत्र के बुद्धिजीवियों में रोस व्याप्त है। बताया जाता है कि बापू 1917 ई० में सिकरहना अनुमंडल क्षेत्र के ढाका स्थित बरहरवा लखन सेन गांव स्वतंत्रता संग्राम के दौरान आए थे.जहां से मात्र जिहुली गांव में बापू के प्रेरणा स्रोत रहे गांधी पुस्तकालय की घोर उपेक्षा ! की दूरी 4 किलोमीटर है . यहां गांधी जी ने सर्वप्रथम विद्यालय की स्थापना से पूर्व साफ-सफाई को लेकर जिहुली गांव के लोगों को आमंत्रण पत्र भेजा था।
पत्र के माध्यम से लोगों ने उस वक्त गांव में इकट्ठा होकर अधिक से अधिक संख्या में भाग लिया तथा साफ सफाई कर विद्यालय की स्थापना की . इस दौरान बापू के विचारों से प्रेरित होकर लोगों ने बापू की पहल पर गांधी पुस्तकालय जिहुली स्थापना 1922 में की । इसका खेसरा 240 रकवा 5 कत्था 5 धुर जमीन है। इसका रिटर्न भी पुस्तकालय समिति के अध्यक्ष पण्डित आनंद किशोर शर्मा द्वारा गांधी जी के नाम से जमीन को पुस्तकालय हेतु दान दिया गया है। उक्त पुस्तकालय का मालगुजारी रिटर्न भी जमा किये थे। इस दौरान गांधीजी 1934 में आये प्रलयंकारी भूकंप का आकलन करने पताही भी पहुंचे थे।उनकी पहल पर 1918 में बुनियादी विद्यालय की स्थाना गाव के लोगो ने की थी । ततपश्चात 15 जनवरी 1934 को गांधी जी के पहल पर राजकीय मध्य विद्यालय जिहुली का पुनर्निर्माण भूकम्प रोधी खपरैल युक्त इंग्लैण्ड से मंगाए गए लोहे से कराया गया था. इसका अवशेष आज भी वही है जो देखा जा सकता है। विद्यालय से सटे गांधी पुस्तकालय में सत्याग्रह आंदोलन के दौरान लोगों के बीच गांधी के विचारों को साझा करने के लिए पुस्तकालय के माध्यम से एक से दूसरे गांव चिट्ठी-पत्री के रूप में भेजने का काम किया जाता था और लोग आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते थे। उक्त पुस्तकालय में दस-बीस गांव के लोग जमा होते थे और गांधी जी द्वारा भेजे गए पत्र पढ़ कर लोगों को सुनाया जाता था और आन्दोलन बापू के प्रेरणा स्रोत रहे गांधी पुस्तकालय की घोर उपेक्षा ! आंदोलन का ऐलान तीन रेखा तैयार की जाती थी। यहाँ आने वाले लोग गांधी जी से मिला करते थे। पंचायत के मुखिया विकास कुमार उर्फ निक्कू सिंह ने बताया कि बापू सर्व प्रथम बरहरवा लखन पहुंचे के बाद उन्होंने जिहुली गांव को ही सर्व प्रथम बरहरवा से लखन सेन में विद्यालय स्थापना एवं साफ-सफाई के लिए निमंत्रण दिया था . जिसमें पंचायत के सैकड़ों ग्रामीणों ने सांप सफाई में भाग लिया था. इतना ही नहीं एक बार अंग्रेजों के थाना ढाका को भी ग्रामीण लोग आंदोलन के दौरान जला दिए थे , जिसमें कई ग्रामीण को जेल भेज दिया गया था लेकिन नाबालिक होने के कारण उन्हें बाद में छोड़ दिया गया था. उन्होंने बताया कि अंग्रेजों से लड़ने में जिहुली गांव की अहम भूमिका रही है . गांधी पुस्तकालय के जन्मदाता नारायण सिंह के घर पर अंग्रेजों ने सन 1344 के करीब टैंक लगाकर उड़ाने का प्रयास किया था। उसी सन 1344 में स्थापित उनके घर पर आज भी वंदे मातरम लिखा हुआ देखा जा सकता है जिसे देखकर ही अंग्रेज अधिकारियों ने समझा कि यह मुख्य रूप से यही सबसे बड़ा आंदोलनकारी है, और लोगों को इकट्ठा करता है एवाम आन्दोलन के लिए उकसाता है । इन सभी सबूतों के बावजूद भी गांधी पुस्तकालय की उपेक्षा की जा रही है. इलाके के लोगों ने अति महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर को गांधी सर्किट से जोड़ने की मांग लगातार सत्याग्रह शताब्दी समारोह में करते आ रहे हैं। गांधी शताब्दी समारोह के दौरान गांधी सत्याग्रह मंच के लोग आलोक फाउंडेशन के ट्रस्टी आलोक कुमार , इस पुस्तकालय, विद्यालय व उन पौराणिक घरों को देख कर गए. ग्रामीणों को भरोसा भी दिया गया था कि इसे गांधी सर्किट मोतिहारी से जोड़ा जाएगा लेकिन इसकी तरफ अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है. इस स्थिति से दुखी होकर पंचायत के मुखिया विकास कुमार उर्फ निक्कू सिंह, सरपंच रितेश कुमार, उपसरपंच सुनील कुमार सिंह, रत्नेश्वर सिंह, सुरेश प्रसाद सिंह, राजीव रंजन उर्फ अटल सिंह, अतुल कुमार सिंह, गणेश जी, संतोष कुमार सिंह , शेषनाथ कुमार सिंह युवको ने एक संघर्ष समिति का गठन करने का निर्णय लेते हुए. इस पुस्तकालय के लिए आंदोलन करने का निर्णय लिया हैसमिति के लोग आन्दोलन की रूप रेखा पर विचार कर रहे हैं और शीघ्र ही अपनी रणनीति का खुलासा करेंगे।