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शेरपुर दिघवारा भूमि अधिग्रहण मामला लम्बा खींचने के आसार 

  •  लगभग दर्जन भर भू स्वामियों ने दायर की ऑर्बिटेसन याचिका।
  •  सारण आयुक्त के यहां शुरू हुई सुनवाई।साथ शुरू की आंदोलन की तैयारी।

न्यूज4बिहार/दिघवारा |शेरपुर दिघवारा सिक्स लेन पुल के उतरी भाग दिघवारा नगर पंचायत के सैदपुर दिघवारा और मीरपुर भुआल मौजा के वैसे आवासीय मुख्य सरक श्रेणी की जमीन जिनका गजट और उनका नोटिस गलत तरीके से कृषि दिखाकर किया गया है उन जमीनों का अधिग्रहण में काफी वक्त लगने की संभावना बन रहा है।

दिघवारा नगर पंचायत के दोनो मौजा के आवासीय मुख्य सड़क श्रेणी की जमीनों के कुछ भू स्वामी जिन्हे नगर पंचायत की जगह ग्रामीण पंचायत क्षेत्र में अवस्थित कृषि भूमि के दर का नोटिस भू अर्जन विभाग द्वारा दिया गया है। वैसे लगभग दर्जन भर भू स्वामी जहां सारण आयुक्त के यहां अपनी भूमि के सरकार द्वारा निर्धारित आवासीय मुख्य सरक की दर से मुआवजा दिलवाने हेतु ऑर्बिटेसन याचिका दाखिल किए हुए है।वही लगभग दर्जन भर भू स्वामियों द्वारा बहुत जल्द याचिका दाखिल किया जाएगा।

इन सभी भू स्वामियों के साथ ही दोनो मौजा के वैसे सभी भू स्वामियों के द्वारा जिनकी जमीन का गजट कृषि भूमि कर प्रकाशित हुआ था । आवासीय मुख्य सरक की श्रेणी से मुआवजा प्राप्ति के लिए अब आंदोलन की तयारी कर रहे है।

सभी भू स्वामी इस मुद्दे पर काफी एकजुट दिखाई दे रहे है साथ ही सरकार और अधिकारी तथा संबंधित निर्माण कंपनी पर अपना आक्रोश व्यक्त कर रहे है।

संबंधित भू स्वामियों का कहना है कि उक्त पुल के लिए जब भूमि का अधिग्रहण रिविजनल सर्वे में चिन्हित लगभग 22 फिट चौड़ाई से लेकर लगभग 45 फिट चौड़ाई की सड़क से सटी हुई ही भूखंड का अधिग्रहण होना है।

सभी भू स्वामियों के पास उपलब्ध खतियान और दस्तावेज में उनकी जमीनों की चौहद्दी में स्पष्ट रूप रास्ता का जिक्र है।

अधिग्रहण की बुनियाद ही सड़क है तब आखिर किस परिस्थिति में उनकी जमीनों को कृषि श्रेणी घोषित कर नोटिश दिया जा रहा है और देने की तयारी है।

नगर क्षेत्र में अवस्थित है सारी अधिग्रहित जमीन

शेरपुर दिघवारा पुल के दिघवारा क्षेत्र में पड़ने वाले लगभग शत प्रतिशत जमीन दिघवारा नगर पंचायत क्षेत्र में अवस्थित है।

सन 1980 में गठित हुआ अधिसूचित क्षेत्र ।

 वर्ष 2002 से हो रहा नगर का लगातार चुनाव।

सारण जिले के एक मुख्य क्षेत्र दिघवारा को अधिसूचित क्षेत्र बनाने की घोषणा लगभग 40 वर्ष पूर्व हुई थी ।जिसके बाद लगातार यहां वाइस चेयरमैन मनोनित किए जाते थे।

वर्ष 2002 से दिघवारा नगर पंचायत क्षेत्र में लगातार नगर निकाय चुनाव होता रहा है।अभी तक लगभग 5 बार नगर निकाय चुनाव कराया जा चुका है।

हास्यपद स्थिति है कृषि भूमि कहना

जिले में जब जब रजिस्ट्री का रेट निर्धारित होता है उसके अध्यक्ष जिलाधिकारी होते है। उनके साथ आठ सरकारी अधिकारियों की समिति भूमि का वर्गीकरण कर उनका निबंधन का मूल्य निर्धारित करता है।

विगत 2016 में दिघवारा नगर पंचायत क्षेत्र कुल 5मौजा की जमीन निबंधन मूल्य निर्धारित हुआ था । जिसमे कुल लगभग 3तरह की आवासीय दर निर्धारित किया गया था। उस निबंधन मूल्य तालिका में

वही कही भी कृषि भूमि का जिक्र भी नही है।

वही पुनः 2020 में जिलाधिकारी के अध्यक्षता में मूल्यांकन समिति ने नगर और ग्रामीण दोनो क्षेत्र के भूमि के निबंधन दर का वर्गीकरण किया था।

किए गए निबंधन वर्गीकरण तालिका में सपस्ट उल्लेख किया गया था की वैसी अभी जमीन जो कच्ची सड़क के किनारे भी होंगी उन्हें आवासीय मुख्य सरक श्रेणी का माना जायेगा जिस सरक पर चार चक्का वाहनों का प्रवेश हो सकता है।

इसी मूल्यांकन समिति की बैठक और उसके अनुमोदन से जारी तालिकाओं के अनुसार ही भूमि का निबंधन आवासीय श्रेणी में हो रहा है।

वैसी परिस्थिति में आवासीय मुख्य सरक की श्रेणी की जमीनों का गजट कृषि करना अधिकारी और सरकार द्वारा भू स्वामियों के प्रति हास्यास्पद और क्रूर मजाक को दर्शाता है।

लगभग 7 लाख 60 हजार प्रति कट्ठा का दर में है अंतर।

कुछ भू स्वामियों को भू अर्जन विभाग द्वारा दिए गए नोटिस का और निबंधन हेतु निर्धारित दर का आकलन करने पर लगभग 7 लाख 60 हजार प्रति कट्ठा का अंतर है।

नगर क्षेत्र का मुआवजा सरकारी दर के दुगना का प्रावधान है।इस जिन रैयत की जमीन लगभग 1 कट्ठा का अधिग्रहण होना है उन्हे अभी के हिसाब से 15 लाख रुपए का नुकसान हो रहा है।

नुकसान में अंतर पनपा रहा है भीषण आक्रोश।

सरकारी दर से मिलने वाले मुआवजे और नोटिस के दर में भारी अंतर के कारण भू स्वामियों में खाशा आक्रोश पनप रहा है।।

वही निर्माण कम्पनी के कर्मियों की अधिग्रहण होने वाली जमीन की तरफ बढ़ी हुई चहलकदमी ने भू स्वामियों की काफी नराजगी बढ़ा रही है।

वैसी स्थिति में जब तक भू स्वामियों के इस मुआवजा बढ़ोतरी की की मांग को देखते हुए उन्हें सरकारी निर्धारित आवासीय मुख्य सरक श्रेणी के दर से नोटिस और मुआवजा प्राप्त हो नही जाता तब तक निर्माण कंपनी को रेलवे लाइन से उतर संबंधित सभी प्लॉट पर जाने से पूर्ण परहेज करना श्रेयकर होगा।

आधिकारिक दौरा और कम्पनी कर्मियों की चहल कदमी के कारण अब भू स्वामी काफी सक्रिय हो चुके हा। भू स्वामियों को जैसे ही इस सिक्स लेन पुल के शिलान्यास की खबर लगी उनके द्वारा अपनी मांग को लेकर आंदोलन रणनीति बनने लगी है।

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