फाइलेरिया उन्मूलन के लिए जिले में 10 फरवरी से शुरू होगा आईडीए राउंड।
पूरी तरह से सुरक्षित है दवा का सेवन: सिविल सर्जन।
छपरा, 02 जनवरीफाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जिले में सर्वजन दवा सेवन (एमडीए) कार्यक्रम के तहत 10 फरवरी से आईडीए (आइवरमेक्टिन, डाईइथाइल कार्बामजीन और एल्बेंडाजाल) अभियान शुरू हो रहा है। जिसको लेकर जिला स्वास्थ्य समिति ने तैयारियां तेज कर दी हैं। इस क्रम में आईडीए के पूर्व जिले में नाइट ब्लड सर्वे (एनबीएस) का संचालन किया गया। जिसकी रिपोर्ट आने के बाद आईडीए का संचालन किया जायेगा। इस दौरान जिले में लोगों को आईडीए के प्रति जागरूक किया जा रहा है। इस दौरान बंदियों को फाइलेरिया उन्मूलन अभियान और आईडीए की जानकारी दी जा रही है। ताकि, लोग फाइलेरिया रोधी दवाओं के संबंध में जागरूक हो और ज्यादा से ज्यादा दवाओं का सेवन करें।
पूरी तरह से सुरक्षित है दवा का सेवन: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि फाइलेरिया एक लाइलाज बीमारी है। जिससे बचाव का एकमात्र रास्ता दवाओं का सेवन करना है। फाइलेरिया क्यूलेक्स नाम के मच्छर के काटने से होता है। इसके कारण इंसान के शरीर के कई अंगों में सूजन आ जाती है और वह चलने फिरने में भी लाचार हो जाता। रोग की रोकथाम के लिए राज्य सरकार द्वारा साल में एक बार फाइलेरिया की दवा सेवन के लिये सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम चलाया जाता है। फ़ाइलेरिया से ग्रसित व्यक्ति में लक्षण दिखाई देने में 10 से 15 वर्ष का समय लग सकता है। फाइलेरिया की दवा पूरी तरह सुरक्षित है और इससे कोई नुकसान नहीं होता। इसलिए समुदाय के लोगों को आईडीए राउंड में दवा सेवन करने से संकोच नहीं करना चाहिए। ये दवाएं पूरी तरह से सुरक्षित है।
कई गंभीर रोग के कारक होते हैं मच्छर:
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि फाइलेरिया एक मच्छर जनित रोग है। घर के आस-पास जल जमाव वाले क्षेत्र व गंदे स्थानों पर पनपने वाले कई मच्छर कई गंभीर रोग के कारक होते हैं। इसलिए हमें आसपास के माहौल को हमेशा स्वच्छ व सुंदर बनाये रखने का प्रयास करना चाहिए। इससे हमें अपने परिवार के साथ-साथ समाज के कई अन्य लोगों को भी गंभीर बीमारियों की चपेट में आने से बचा सकते हैं। उन्होंने कहा कि स्वस्थ समाज के लिए फाइलेरिया उन्मूलन आवश्यक है। समय पर इलाज नहीं होने से यह बीमारी मरीज को दिव्यांग बना सकता है। रोग की गंभीरता से अवगत होने के बाद कैदियों में दवा सेवन के प्रति उत्साह देखा गया। कतारबद्ध होकर वे दवा सेवन के लिए अपनी बारी का इंतजार करते देखे गए।
फाइलेरिया की वजह से होने वाले हाथी पांव का कोई इलाज नहीं:
वीबीडीसी सुधीर कुमार सिंह ने फाइलेरिया के संबंध में बताया कि यह एक गंभीर कष्टकारी रोग है। फाइलेरिया की वजह से हाथी पांव होने की स्थिति में इसका कोई इलाज नहीं है। संक्रमण के खतरों से बचाव के लिये सरकार द्वारा हर साल सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम संचालित किया जाता है। इस साल 10 फरवरी से जिले में इस कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। पांच साल तक लगातार साल में एक बार दवा सेवन से फाइलेरिया से बचाव संभव है।