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अतिगंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान करेंगी आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता

• जिले में चलाया जा रहा है पोषण माह

• पोषण माह का मुख्य उद्देश्य पंचायत स्तर पर पोषण सम्बन्धी गतिविधियों को सक्रिय करना

• समुदाय के वंचित तथा उपेक्षित वर्ग के लोगों को शत प्रतिशत सेवा दी जाए

छपरा,14 सितंबर । जिले में स्वास्थ्य विभाग और समाज कल्याण विभाग के द्वारा कुपोषण के दर में कमी लाने के उद्देश्य से पोषण अभियान चलाया जा रहा है। सितंबर माह को पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है। इसमें स्वास्थ्य विभाग के द्वारा भी विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जायेगा। इसको लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह ने पत्र जारी कर आवश्यक दिशा निर्देश दिया है। जारी पत्र में कहा गया है कि भारत सरकार कुपोषण की दर में सुधार लाने हेतु कृत संकल्पित है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य सभी बच्चों, किशोर-किशोरियों, गर्भवती महिलाओं एवं धात्री माताओं के पोषण स्तर में सुधार लाना है। इस वर्ष पोषण माह का मुख्य उद्देश्य पंचायत स्तर पर पोषण सम्बन्धी गतिविधियों को सक्रिय करना है। पोषण माह में आयोजित आरोग्य दिवस के सत्रों पर आशा, आँगनबाड़ी सेविका, पंचायती राज के प्रतिनिधियों तथा स्वयं सहायता समूहों आदि के माध्यम से पोषण, स्वास्थ्य, एनीमिया तथा स्वच्छता से संबंधित जागरूकता जन मानस के बीच किया जाए, जिससे पोषण माह एक जन आन्दोलन का रूप ले सके।

समुदाय के वंचित तथा उपेक्षित वर्ग के लोगों को शत प्रतिशत सेवा दी जाए-

निर्देश दिया गया है कि प्रत्येक आरोग्य दिवस पर स्वास्थ्य, पोषण विकास तथा स्वच्छता से संबंधित सेवाएँ लोगों को उपलब्ध हों, खास कर समुदाय के वंचित तथा उपेक्षित वर्ग के लोगों को यह सेवाएँ शत प्रतिशत दी जाए। गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं तथा किशोरियों का एएनएम द्वारा हीमोग्लोबिन जाँच करना, एनीमिया की पहचान कर चिकित्सीय परामर्श / रेफरल सुनिश्चित करना, खान पान यथा स्थानीय स्तर पर उपलब्ध हरी साग सब्जियाँ, फल, मांस मछली, अंडा, विटामिन-सी युक्त खाद्य-पदार्थ जैसे अमरुद आँवला, संतरा, मौसमी इत्यादि के बारे में चर्चा की जायेगी।

अतिगंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान, रेफरल एवं प्रबंधन :

अतिगंभीर कुपोषित बच्चों में सामान्य बच्चों की तुलना में 9 से 11 गुणा मृत्यु का खतरा अधिक होता तथा पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की लगभग 45 प्रतिशत मृत्यु में अति गंभीर कुपोषण एक अंतर्निहित कारक होता है। पोषण माह 2022 के अंतर्गत सभी अतिगंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान, रेफरल एवं प्रबंधन का लक्ष्य रखा गया है। समुदाय स्तर पर आशा द्वारा आँगनवाड़ी कार्यकर्ता से समन्वय स्थापित कर लंबाई / ऊंचाई के अनुसार 3एसडी ( SD) से कम वाले बच्चों की लाइनलिस्ट तैयार कर ए.एन.एम. के द्वारा आरोग्य दिवस स्थल / स्वास्थ्य केन्द्र पर जाँच करवाना सुनिश्चित किया जाये। आशा द्वारा बीमार सुस्त दिखाई देने वाले दुबलेपन, स्तनपान / भूख में कमी, दोनों पैरों में सूजन वाले बच्चों की भी लाइनलिस्ट तैयार कर ए.एन.एम. के द्वारा स्वास्थ्य केन्द्र पर जाँच करवाना सुनिश्चित किया जाये। बच्चों में सांस का तेज चलना, छाती का धँसना, फरका आना, लगातार उल्टी / दस्त होना इत्यादि लक्षण पाये जाने पर आशा द्वारा उन्हें तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र / पोषण पुनर्वास केन्द्र (NRC) पर रेफर किया जायेगा।

एनआरसी से डिस्चार्ज बच्चों का होगा फॉलोअप:

पोषण पुनर्वास केन्द्र पर गतिविधियाँ चिकित्सकीय जटिलतायुक्त अतिगंभीर कुपोषित बच्चों का गुणवत्तापूर्ण उपचार सुनिश्चित किया जाये। उपचार के उपरांत डिस्चार्ज हुये बच्चों को प्रत्येक दो सप्ताह के अंतराल पर कुल चार बार पोषण पुनर्वास केन्द्र पर फॉलो अप जांच हेतु आशा द्वारा सहयोग प्रदान किया जायेगा। डिस्चार्ज हुये बच्चों की सूचना संबंधित प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, सी.डी.पी.ओ., आशा फैसिलिटेटर को उपलब्ध करायी जाये।

अतिगंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान करेंगी आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता

• जिले में चलाया जा रहा है पोषण माह

• पोषण माह का मुख्य उद्देश्य पंचायत स्तर पर पोषण सम्बन्धी गतिविधियों को सक्रिय करना

• समुदाय के वंचित तथा उपेक्षित वर्ग के लोगों को शत प्रतिशत सेवा दी जाए

छपरा,14 सितंबर । जिले में स्वास्थ्य विभाग और समाज कल्याण विभाग के द्वारा कुपोषण के दर में कमी लाने के उद्देश्य से पोषण अभियान चलाया जा रहा है। सितंबर माह को पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है। इसमें स्वास्थ्य विभाग के द्वारा भी विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जायेगा। इसको लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार सिंह ने पत्र जारी कर आवश्यक दिशा निर्देश दिया है। जारी पत्र में कहा गया है कि भारत सरकार कुपोषण की दर में सुधार लाने हेतु कृत संकल्पित है। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य सभी बच्चों, किशोर-किशोरियों, गर्भवती महिलाओं एवं धात्री माताओं के पोषण स्तर में सुधार लाना है। इस वर्ष पोषण माह का मुख्य उद्देश्य पंचायत स्तर पर पोषण सम्बन्धी गतिविधियों को सक्रिय करना है। पोषण माह में आयोजित आरोग्य दिवस के सत्रों पर आशा, आँगनबाड़ी सेविका, पंचायती राज के प्रतिनिधियों तथा स्वयं सहायता समूहों आदि के माध्यम से पोषण, स्वास्थ्य, एनीमिया तथा स्वच्छता से संबंधित जागरूकता जन मानस के बीच किया जाए, जिससे पोषण माह एक जन आन्दोलन का रूप ले सके।

समुदाय के वंचित तथा उपेक्षित वर्ग के लोगों को शत प्रतिशत सेवा दी जाए-

निर्देश दिया गया है कि प्रत्येक आरोग्य दिवस पर स्वास्थ्य, पोषण विकास तथा स्वच्छता से संबंधित सेवाएँ लोगों को उपलब्ध हों, खास कर समुदाय के वंचित तथा उपेक्षित वर्ग के लोगों को यह सेवाएँ शत प्रतिशत दी जाए। गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं तथा किशोरियों का एएनएम द्वारा हीमोग्लोबिन जाँच करना, एनीमिया की पहचान कर चिकित्सीय परामर्श / रेफरल सुनिश्चित करना, खान पान यथा स्थानीय स्तर पर उपलब्ध हरी साग सब्जियाँ, फल, मांस मछली, अंडा, विटामिन-सी युक्त खाद्य-पदार्थ जैसे अमरुद आँवला, संतरा, मौसमी इत्यादि के बारे में चर्चा की जायेगी।

अतिगंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान, रेफरल एवं प्रबंधन :

अतिगंभीर कुपोषित बच्चों में सामान्य बच्चों की तुलना में 9 से 11 गुणा मृत्यु का खतरा अधिक होता तथा पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की लगभग 45 प्रतिशत मृत्यु में अति गंभीर कुपोषण एक अंतर्निहित कारक होता है। पोषण माह 2022 के अंतर्गत सभी अतिगंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान, रेफरल एवं प्रबंधन का लक्ष्य रखा गया है। समुदाय स्तर पर आशा द्वारा आँगनवाड़ी कार्यकर्ता से समन्वय स्थापित कर लंबाई / ऊंचाई के अनुसार 3एसडी ( SD) से कम वाले बच्चों की लाइनलिस्ट तैयार कर ए.एन.एम. के द्वारा आरोग्य दिवस स्थल / स्वास्थ्य केन्द्र पर जाँच करवाना सुनिश्चित किया जाये। आशा द्वारा बीमार सुस्त दिखाई देने वाले दुबलेपन, स्तनपान / भूख में कमी, दोनों पैरों में सूजन वाले बच्चों की भी लाइनलिस्ट तैयार कर ए.एन.एम. के द्वारा स्वास्थ्य केन्द्र पर जाँच करवाना सुनिश्चित किया जाये। बच्चों में सांस का तेज चलना, छाती का धँसना, फरका आना, लगातार उल्टी / दस्त होना इत्यादि लक्षण पाये जाने पर आशा द्वारा उन्हें तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र / पोषण पुनर्वास केन्द्र (NRC) पर रेफर किया जायेगा।

एनआरसी से डिस्चार्ज बच्चों का होगा फॉलोअप:

पोषण पुनर्वास केन्द्र पर गतिविधियाँ चिकित्सकीय जटिलतायुक्त अतिगंभीर कुपोषित बच्चों का गुणवत्तापूर्ण उपचार सुनिश्चित किया जाये। उपचार के उपरांत डिस्चार्ज हुये बच्चों को प्रत्येक दो सप्ताह के अंतराल पर कुल चार बार पोषण पुनर्वास केन्द्र पर फॉलो अप जांच हेतु आशा द्वारा सहयोग प्रदान किया जायेगा। डिस्चार्ज हुये बच्चों की सूचना संबंधित प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, सी.डी.पी.ओ., आशा फैसिलिटेटर को उपलब्ध करायी जाये।

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