न्यूज4बिहार/सारण: भगवान श्री सत्संकल्प हैं. यदि वे चाहते तो स्वर्ग में बैठे-बैठे रावण को समाप्त कर सकते थे लेकिन भगवान धर्म के सिद्धांत का परिपालन करने हेतु भगवान ने वनवास स्वीकार किया. वनवास में भगवान ने जहां अनेको अनेक कष्ट सहे वही मानव धर्म में समानता का धर्म साबित करने के लिए केवट और सबरी जैसे लोगों को गले लगाया. बाली को जीतने के बाद मैत्री धर्म का पालन करते हुए बाली को जीतकर राज सुग्रीव को एवं लंका को जीतने के बाद लंका का राज विभीषण को सौंप दिया. ये बातें इसुआपुर के धर्मशाला परिसर में चल रहे चार दिवसीय श्री राम कथा के दूसरे दिन कथा वाचक यूपी के चित्रकूट से आये श्री राघव किंकर जी महाराज (आलोक मिश्रा)ने कही।उन्होंने कहा कि सनातन धर्म और मानव धर्म के आदर्शों को प्रतिस्थापित करने के लिए राम जी ने सीता जी की अग्नि परीक्षा ली . आज के पर्यवेक्ष में सनातन धर्म तथा मानव धर्म का पालन करने वाला राम के अलावा दूसरा कोई नहीं हो सकता. श्रीराम आदर्श पुत्र आदर्श भ्राता आदर्श पति आदर्श मित्र एवं आदर्श राजा हैं. अस्तु श्री राम जी का वनवास सभी मानवीय धर्म का आदर्श है. गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्री रामचरितमानस ग्रंथ में भगवान श्री राम जी के पावन चरित्र का वर्णन करते हुए भगवान के हर उस आदर्श का दर्शन कराया जिसमें मानव जीवन आदर्शो को प्राप्त करता है .अस्तु हम सभी को भगवान श्री राम के आदर्शों पर चलकर ही आदर्श मानव जीवन प्राप्त कर सकते हैं.कार्यक्रम का आयोजन डॉ प्रतीक ,विनोद चौबे,मिथलेश चौबे,बिनोद प्रसाद,राजेश चौबे एवं अन्य लोगों के सहयोग से किया जा रहा है।