• मनोरंजन के साथ-साथ स्वास्थ्य का भी रखा जायेगा ख्याल
• टीबी बीमारी से बचाव की दी जायेगी जानकारी
• स्लोगन और बैनर के माध्यम से किया जायेगा जागरूक
छपरा : हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला, जो अपने विशाल आकार और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है, इस बार सिर्फ मनोरंजन के लिए नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए भी खास इंतजाम किए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने मेला स्थल पर नि:शुल्क टीबी (तपेदिक) जांच की सुविधा प्रदान करने की योजना बनाई है, ताकि मेला में आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को इस खतरनाक बीमारी से बचाव की जानकारी और इलाज मुहैया कराया जा सके। सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि मेला में आने वाले श्रद्धालुओं को नि:शुल्क टीबी जांच की सुविधा दी जाएगी। विशेष रूप से मेला स्थल पर तैनात चिकित्सा टीम श्रद्धालुओं की जांच करेगी, सैंपल कलेक्शन किया जायेगा। ताकि किसी भी व्यक्ति में टीबी के लक्षण पाए जाने पर तुरंत इलाज किया जा सके। यह पहल मेला क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा के दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है। मेला में स्टॉल लगाकर टीबी के संदिग्ध मरीजों का सैंपल कलेक्शन किया जायेगा। इसके लिए पूरे एक माह तक स्वास्थ्यकर्मियों की प्रतिनियुक्ति की गयी है।
टीबी बीमारी से बचाव के प्रति किया जायेगा जागरूक
सीडीओ डॉ. रत्नेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि टीबी के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए लक्षण, बचाव के उपाय और इलाज के बारे में जानकारी प्रदान की जायेगी। टीबी को लेकर भ्रांतियां दूर करने और सही जानकारी देने के लिए विभाग द्वारा स्लोगन और बैनर लगाए जाएंगे, ताकि मेला में आने वाले लोग इस बीमारी से जुड़ी सटीक जानकारी प्राप्त कर सकें और समय रहते इलाज करवा सकें। स्वास्थ्य विभाग की यह पहल सोनपुर मेला के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को और भी समृद्ध बनाएगी, साथ ही मेला आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक स्वास्थ्य सुरक्षा कवच प्रदान करेगी। इस प्रयास से न केवल टीबी जैसी गंभीर बीमारी के प्रति जागरूकता बढ़ेगी, बल्कि लाखों लोग समय रहते इसका इलाज करवा सकेंगे, जिससे उनका स्वास्थ्य बेहतर हो सकेगा।
टीबी बीमारी का लक्षण:
• भूख न लगना और वजन घटना
• कमजोरी या थकान
• लगातार बुखार
• दो हफ्ते से ज्यादा खासी
• सीने में दर्द
• कफ में खून आना
2025 तक टीबी उन्मूलन का लक्ष्य:
संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (यूएन-एसडीजी) के हस्ताक्षरकर्ता के रूप में भारत ने एसडीजी की समय सीमा 2030 से पांच वर्ष पहले ही 2025 तक “टीबी को समाप्त” करने के लक्ष्य को प्राप्त करने का संकल्प लिया है। टीबी कोई आनुवंशिक रोग नहीं है। यह एक संक्रामक रोग है, जिससे नियमित इलाज से छुटकारा पाया जा सकता है। यदि बीच में भी इलाज छोड़ दिया गया तो संबंधित मरीज की मौत भी हो सकती है। इस रोग की भयानकता को देखते राज्य सरकार ने जांच और फिर दावा की उपलब्धता सरकारी अस्पतालों में मुफ्त कराया है।